भारत में 6जी संचार सेवाएं 2030 तक- केंद्रीय मंत्री सिंधिया

भोपाल. केंद्रीय संचार और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कहते हैं कि भारत डिजिटल हाईवे का नेतृत्व कर रहा है। आप पेरिस के एफिल टॉवर घूमने जाते हैं तो वहां भारतीय पेमेंट सिस्टम यूपीआइ से भुगतान की सुविधा है। दुनिया के कई देश भारत के यूपीआइ सिस्टम को अपना रहे हैं। कभी औद्यौगिक क्रांति के समय विकसित देश फिजिकल हाईवे पर जोर देते थे, आज 100 साल बाद भारत डिजिटल हाईवे का नेतृत्व कर रहा। पत्रिका से बातचीत के दौरान सिंधिया कहते हैं कि भारत ने डिजिटल डिवाइड को डिजिटल यूनिटी में बदल दिया है। आज विश्व के 46 प्रतिशत डिजिकल ट्रांजैक्शन, भारत में होते हैं।
2029-2030 तक विश्वस्तर पर 6 जी की तकनीक लागू हो जाएगी
भारत ने पूरे विश्व में सबसे तेजी से 5जी का रोल आउट किया है। करीब 82त्न हमारी आबादी कनेक्ट हो चुकी है। 20 करोड़ उपभोक्ता 5 जी का लाभ ले रहे हैं। 6जी के लिए विश्वस्तर पर मानचित्र और रूपरेखा बनाई जा रही है। हर देश के प्रतिनिधियों को इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन में नेतृत्व करने का मौका मिल रहा है। 6जी पेटेंट दाखिल करने वाले शीर्ष छह देशों में भारत शामिल है। हमारा लक्ष्य है कि जितने पेटेंट्स 6जी में लगेंगे, उसका 10 प्रतिशत भारत की तरफ से रहेगा। मेरा अनुमान है 2029-2030 तक विश्वस्तर पर 6 जी की तकनीक लागू हो जाएगी।
जियो, वन वेब और एलन मस्क की स्टारलिंक को सरकार ने लाइसेंस दे दिया है। एक दो कंपनियां और भी कतार में हैं। लाइसेंस के बाद स्पेक्ट्रम देने के लिए ट्राई का एडमिनिस्ट्रेटिव असाइनमेंट का जो नॉर्म होगा, उसका डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन ( डीओटी) विश्लेषण करेगा। जब ये फाइनल हो जाएगा तब एडमिनिस्ट्रेटिव असाइनमेंट प्राइस पर स्पेक्ट्रम दी जाएंगी। इसके बाद इनस्पेस सहित अन्य एजेंसियों की भी अनुमति लेनी होगी। कंपनियां जैसे ही सारी अनुमति लेंगी, उनकी सर्विस तुरंत शुरू हो जाएगी।