बिहार में परिवारवाद पर नीतीश कुमार की जेडीयू में विद्रोह, पटना साहिब प्रभारी ने दिया इस्तीफा

पटना. बिहार में एनडीए सरकार की ओर से हाल ही में बोर्ड और आयोगों के गठन के बाद जनता दल (यूनाइटेड) में असंतोष की लहर दौड़ पड़ी है. खासकर पटना साहिब विधानसभा के प्रभारी नवीश कुमत नवेंदु के इस्तीफे ने पार्टी के भीतर उथल-पुथल मचा दी है. नवेंदु ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए बोर्ड-आयोगों में परिवारवाद और योग्यता को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है. यह मामला बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जेडीयू के लिए नई मुसीबत खड़ी कर सकता है.
दरअसल नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार ने विभिन्न बोर्ड और आयोगों में नियुक्तियां कीं, जिसमें जेडीयू, बीजेपी, एलजेपी(रामविलास), और HAM के नेताओं और उनके रिश्तेदारों को प्रमुख स्थान दिया गया. सूत्रों के मुताबिक, इन नियुक्तियों में अशोक कुमार और मनोज कुमार ऋषि जैसे लोग शामिल हैं. इन नियुक्तियों को लेकर जेडीयू के कई कार्यकर्ताओं में नाराजगी है, जो लंबे समय से पार्टी के लिए मेहनत कर रहे हैं, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला.
नवेंदु जो पटना साहिब विधानसभा के प्रभारी थे, ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट में लिखा, “मैंने पार्टी के लिए दिन-रात मेहनत की, लेकिन बोर्ड-आयोगों में परिवार के सदस्यों को तरजीह दी गई. योग्य कार्यकर्ताओं की अनदेखी हुई. मैं इससे आहत हूं और अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं. विपक्षी दलों, खासकर आरजेडी ने इस मुद्दे को तुरंत लपक लिया. आरजेडी ने कहा कि जेडीयू में परिवारवाद चरम पर है. नीतीश जी के सुशासन का यही सच है. उन्होंने ‘जमाई आयोग’ जैसे तंज कसते हुए सरकार पर निशाना साधा.
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है, जब बिहार में सियासी सरगर्मियां तेज हैं. बोर्ड-आयोगों में नियुक्तियां हमेशा से कार्यकर्ताओं को पुरस्कृत करने का जरिया रही हैं, लेकिन इस बार परिवारवाद के आरोपों ने एनडीए की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, क्या नीतीश कुमार इस आंतरिक विद्रोह को थाम पाएंगे, या यह चुनावी समीकरण बिगाड़ेगा, यह आने वाला समय बताएगा?