शहरवासी 5 घंटे तक दहशत में रहें-पड़ाव, ठाठीपुर, मुरार, सिटीसेंटर और सिरोल के, फिर गर्माया सम्राट मिहिर भोज विवाद
ग्वालियर. पिछले 2 वर्षो से चले आ रहे सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को लेकर विवाद ने शहर को एक बार फिर से उपद्रव करने के लिये विवश कर दिया। होना यह चाहिये था कि जिला प्रशासन समाज के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर सामंजस्य वाला रास्ता निकलना चाहिये था। इससे होता यह कि शहर के आम लोग इस बवाल का शिकार बच जाते और सरकारी गाडि़यां टूटने बच जाती है। जिला प्रशासनिक मुख्यालय कलेक्ट्रेट की बिल्डिंग से शहर की सड़कों तक लोगों को इस दंगे का सामना नहीं करना पड़ता।
कलेक्ट्रेट के साथ पूरा सिटीसेंटर, हुरावली, मुरार, सिरोल, ओहदपुर, फूलबाग, पड़ाव, गोले का मंदिर, गोविंदपुरी सहित अन्य क्षेत्रों में सड़क से घर तक लोगों को दहशत के बीच पूरे 5 घंटे से ज्यादा का वक्त वहीं गुजरना पड़े। दंगों के इनपुट को लेकर सुरक्षा बलों की इंटेलीजेंस एक बार फिर से नाकामयाब रहीं। इससे पहले दलित आन्दोलन, सेना भर्ती और मिहिर भोज प्रतिमा विवाद की वजह से दंगे हो चुके हैं। जिनकी कोई सूचना इंटेलीजेंट के पास नहीं थी।
मिहिर भोज के मामले में याचिकाकर्ता एमपी सिंह ने बताया है कि मैं 2 दिन से कलेक्टर, एसपी व अन्य अधिकारियों को लगातार सूचना देकर बता रहा था कि गुर्जर समाज द्वारा उपद्रव की तैयारी की जा रही है। लेकिन कोई सुनने को तैयार ही नहीं था। कार्यक्रम को निरस्त कराया जाये। लेकिन अधिकारियों ने मेरी बात को गंभीरता से नहीं लिया। जिसका खामियाजा शहर को उपद्रव के रूप में भुगतना पड़ा। वहीं राष्ट्रीय युवा गुर्जर स्वाभिमान संघर्ष समिति की जिलाध्यक्ष हर्षिता गुर्जर ने एडीएम को फूलबाग में कार्यक्रम करने की मंजूरी का पत्र दिया था। आमसभा के बाद कलेक्ट्रेट में ज्ञापन देना था, इस बीच रोकने पर हंगामा हुआ।
यह थी प्रमुख मांगें
अखिल भारतीय युवा गुर्जर महासभा के प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप सिंह गुर्जर ने कलेक्टर अक्षयकुमार सिंह को जो ज्ञापन सौंपा उसमें 5 प्रमुख मांगें थी।
सेना में गुर्जर रेजीमेंट बने
न्यायालय में आयुक्त की साक्ष्य रिपोर्ट प्रस्तुत हो
संख्या के आधार पर चुनाव में टिकट दिये जाये
थानों का राजपूतीकरण बंद हो
प्रशासन के अत्याचार को बंद किया जाये