विश्व की सबसे ऊंची बीएन राव की प्रतिमा ग्वालियर में लगेगी-स्वामी आनंद स्वरूप

ग्वालियर. हाईकोर्ट ग्वालियर परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति स्थापना के विवाद के बीच अब भारतीय संविधान के मुख्य सलाहकार रहे बीएन राव (सर बेनेगल नरसिम्हा) का नाम चर्चा में आ गया है। ग्वालियर में उनकी विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा लगाने की घोषणा की गयी है। इसके लिये प्रशासन से जगह मांगी जायेगी। जमीन न मिलने पर निजी भूमि पर प्रतिमा स्थापित की जायेगी। इस प्रस्ताव ने संविधान निर्माता की परिभाषा को लेकर एक नयी बहस छेड़ दी गयी है।
क्या है मामला
ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में डॉ. अंबेडकर की मूर्ति लगाने को लेकर चल रहे विवाद के बीच अब संविधान के प्रमुख सलाहकार बीएन राव का नाम भी चर्चा में आ गया है। ग्वालियर में एक कार्यक्रम में यह फैसला लिया गया कि सर बीएन राव की दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति ग्वालियर में लगाई जाएगी। यह फैसला ‘संविधान की व्याख्या एवं अवधारणा’ विषय पर आईआईटीटीएम संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में लिया गया। इस आयोजन का नेतृत्व हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट अनिल मिश्रा और रक्षक मोर्चा के संयोजक सुनील पटेरिया ने किया था। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में शांभवी पीठ के पीठेश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज उपस्थित थे। स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कार्यक्रम में ऐलान किया कि बीएन राव की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा ग्वालियर में स्थापित की जाएगी और इसका पूरा खर्च शांभवी पीठ उठाएगा। उन्होंने कहा कि बीएन राव को जो सम्मान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला। अब समय है कि देश की नई पीढ़ी उन्हें जाने और पहचाने।
संविधान का निर्माण सभी ने एक साथ मिलकर किया
स्वामी ने यह भी आरोप लगाया है कि इस कार्यक्रम को शासन और पुलिस ने रोकने का प्रयास किया। जिसे उन्होंने लोकतांत्रिक विरोध बताया। उन्होंने यह भी कहा है कि बीएन राव को भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिये। रक्षक मोर्चा के संयोजक अखिलेश पांडे ने कहा है कि संविधान किसी एक व्यक्ति की देन नहीं है। डॉ. अम्बेडकर की भूमिका अहम रहीं है। लेकिन बीएन राव की भूमिका को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा है कि जब संविधान का निर्माण सभी ने मिलकर किया तो सिर्फ एक व्यक्ति को ही ंसंविधान निर्माण क्यों कहा जाये।