शहर में अभी भी कोरोना के 70 एक्टिव केस, इनमें से 61 हाेम क्वारेंटाइन, लेकिन कंटेनमेंट जोन एक भी नहीं

शहर में कोरोना वायरस अभी भी सक्रिय है। बीमारी खत्म नहीं हुई है। 70 केस एक्टिव हैं, लेकिन जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने एक भी कंटेनमेंट जाेन नहीं बनाया है। पिछले दो महीने से कंटेनमेंट जोन बनाने की व्यवस्था को अघोषित तौर पर खत्म कर दिया गया है।
न इंसीडेंट कमांडर सक्रिय हैं और न पहले की तरह 40 विभागों के कर्मचारियों को कोरोना रोकथाम के लिए लगाया गया है। उधर, गृह विभाग ने कंटेनमेंट जोन व अन्य स्थानों के लिए कोरोना वायरस से बचाव के लिए नई एसओपी जारी कर दी है, लेकिन इसका पालन तब होगा, जब कंटेनमेंट जोन होगा।
क्या है कंटेनमेंट जोन
कंटेनमेंट जोन में ऐसे घरों को या गलियों को बैरीकेड लगाकर तथा पुलिस जवान तैनात करके आना-जाना प्रतिबंधित किया जाता था, जिस घर या गली में कोरोना के मरीज होम क्वारेंटाइन किए जाते थे। ये कंटेनमेंट जोन 14 दिन के लिए बनाया जाता था। जब मरीज की रिपोर्ट निगेटिव आ जाती थी, तब कंटेनमेंट जोन हटाया जाता था।
वैक्सीन आने से बेफिक्र हो गया प्रशासन
वैक्सीन के आने से स्वास्थ्य अमला और जिला प्रशासन निश्चिंत हो गया है कि शहर में अब कंटेनमेंट जोन की जरूरत ही नहीं है, लेकिन ध्यान देने की बात यह है कि भले ही मरीज कम निकल रहे हो, लेकिन उसके प्रसार को रोकने के लिए कंटेनमेंट जोन बनाने की व्यवस्था आज भी जरूरी है।
70 एक्टिव केस में से सिर्फ 9 अस्पताल में, बाकी घराें में
शहर में अभी जो 70 एक्टिव कोरोना मरीज हैं। सोमवार को सिर्फ 9 मरीज निजी व सरकारी अस्पतालाें में भर्ती थे। शेष मरीजाें को होम क्वारेंटाइन किया गया है। सवाल ये है कि बीमार लाेग घराें में हैं ताे कंटेनमेंट जोन क्यों नहीं बनाया गया है? इनकी निगरानी के लिए इंसीडेंट कमांडर सक्रिय किए क्याें नहीं किए गए और इनके घरों की बैरीकेडिंग कर पुलिस जवान की तैनाती क्याें नहीं की गई।
दिक्कत: कंटेनमेंट जोन के लिए एक्टिव मरीजों की सूची नहीं मिली
पिछले लंबे समय से सीएमएचओ कार्यालय ने हमें कंटेनमेंट जोन बनाने के लिए एक्टिव मरीजों की सूची नहीं दी है। जब वे डिमांड करते हैं, तभी हम लोग कंटेनमेंट जोन बनाया करते थे। अगर वे डिमांड करेंगे तो फिर से कंटेनमेंट जोन बनाएंगे।
- रिंकेश वैश्य, अपर कलेक्टर
सफाई: मरीजों की संख्या कम हो चुकी है इसलिए जरूरत नहीं
फिलहाल शहर में एक भी कंटेनमेंट जोन नहीं है। मरीजों की संख्या काफी कम हो चुकी है। वैक्सीनेशन भी चल रहा है तो फिलहाल ऐसी कोई इमरजेंसी आवश्यकता नहीं है, फिर भी हम एक बार इस मामले की समीक्षा कर लेते हैं।
- डाॅ. मनीष शर्मा, सीएमएचओ, ग्वालियर
पीक आने पर सितंबर में 18.49 फीसदी थी संक्रमण दर, लेकिन जनवरी में 1.12 पर आई
पिछले 31 दिन में 47806 सैंपल की जांच में महज 537 संक्रमित मिले
ग्वालियर. कोरोना वायरस संक्रमण का प्रकोप धीरे-धीरे कम होता दिख रहा है। सितंबर में संक्रमण दर 18.49 प्रतिशत थी, जो जनवरी में घटकर 1.12 प्रतिशत पर आ गई। राहत की बात यह है कि सितंबर के बाद अक्टूबर में संक्रमण दर कम रही, लेकिन नवंबर में फिर से कोरोना संक्रमण के ज्यादा मामले सामने आए। इसके बाद दिसंबर से जनवरी तक स्थिति हर दिन के साथ सुधरती गई। विशेषज्ञों को कहना है कि यही स्थिति रही तो दो माह में संक्रमण के मामले और भी कम रह जाएंगे।
अब और सावधानी बरतने की जरूरत
नई गाइडलाइन में धार्मिक, सामाजिक सहित अन्य आयोजनों की सशर्त अनुमति प्रदान की गई है। ऐसे में अब और सावधानी बरतने की जरुरत है। यदि 2-3 माह लोगों ने मास्क, सेनिटाइजर का नियमित उपयोग किया, तो कोरोना संक्रमण नियंत्रण में आ जाएगा।
-डॉ. अजय पाल सिंह, एसो. प्रोफेसर, जीआरएमसी
वैक्सीन लगने तक बचाव ही उपाय है
हर्ड इम्युनिटी और वायरस के कमजोर होने के कारण केस कम हैं, लेकिन जब तक सभी को वैक्सीन नहीं लगती, तब तक बचाव के उपाय जैसे मास्क लगाना, हाथों को सेनिटाइज करना बंद नहीं करना चाहिए। लापरवाही बरतने से संक्रमण बढ़ सकता है।
- डॉ. विजय गर्ग, असिस्टेंट प्रोफेसर, जीआरएमसी