वैक्सीन का दूसरा इंजेक्शन लगने के 14 दिन बाद मिलेगी कोरोना वायरस से पूरी सुरक्षा

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए तैयार की जा रही वैक्सीन को भारत में भी जल्द मंजूरी मिलने की संभावना है। हालांकि, देश में तैयार की जा रही वैक्सीन के तीसरे चरण की ट्रायल में जिन लोगों को शामिल किया गया, उनमें से कुछ लोग वैक्सीन का पहला इंजेक्शन लगने के बाद भी संक्रमण की चपेट में आ गए।
इनमें हरियाणा के मंत्री अनिल कुमार विज का नाम भी शामिल है। इसके चलते लोगों के मन में इस तरह के सवाल उठ रहे हैं कि यह वैक्सीन कोरोना वायरस से लड़ने में कितनी और कब तक प्रभावी रहेगी। इन तमाम सवालों को लेकर भास्कर ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेशनल ऑफिसर (हेल्थ) डाॅ. चंद्रकांत लहारिया से बात की।
संक्रमित होने के बाद भी दूसरा इंजेक्शन तय समय पर लगेगा
कोरोना वायरस से बचाव के लिए इंजेक्शन 28 दिन के अंतराल पर लगेंगे। वैक्सीन के दूसरे इंजेक्शन के 14 दिन बाद व्यक्ति संक्रमण से पूर्ण रूप से सुरक्षित माना जाएगा। दूसरे शब्दों में कहें तो पहले इंजेक्शन के ४२ दिन बाद व्यक्ति को सुरक्षित माना जाना चाहिए।
वैक्सीन का पहला इंजेक्शन लगने के बाद हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता एक्टिव मोड में आ जाती है। वैक्सीन में जो एंटीजन मौजूद रहते हैं, वह हमारे शरीर के लिए नए होते हैं। इसलिए शरीर को उन्हें समझने में समय लगता है। इसके बाद शरीर में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनना शुरू हो जाती है। इंजेक्शन लगने के चार सप्ताह के बाद व्यक्ति का रोग प्रतिरोधक सिस्टम उस एंटीजन के खिलाफ ज्यादा सक्रिय हो जाता है।
(इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक भाषा में प्राइमिंग कहते है।) इसलिए 28 दिन बाद जब दूसरा इंजेक्शन दिया जाता है, तब दूसरे इंजेक्शन में मौजूद एंटीजन को शरीर तत्काल पहचानना शुरू कर देता है। इससे एंटीबॉडी जल्दी और अधिक मात्रा में बनती है। अब 28 के बजाय केवल 14 दिन के भीतर ही हाई लेवल एंटीबॉडी बन जाती हैं। जो पहले इंजेक्शन के बाद बनी एंटीबॉडी की तुलना में कई गुना ज्यादा होती है।
इसलिए दूसरे इंजेक्शन के 14 दिन बाद व्यक्ति इम्यून या सुरक्षित हो जाता है। वैक्सीन लगने के कुछ माह बाद शरीर में एंटीबॉडी खत्म हो जाती है। लेकिन करोना वैक्सीन बी सेल के साथ ही टी सेल को भी प्रतिक्रिया देती है। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि यह वैक्सीन एंटीबॉडी का स्तर गिर जाने के बाद भी कोरोना से लड़ने में सक्षम रहेगी। बी सेल का काम शरीर में एंटीबॉडी बनाना होता है, जबकि मेमोरी टी सेल यह याद रखती हैं कि शरीर में कौन से वायरस ने पहले हमला किया है।
शरीर से एंटीबॉडी खत्म होने के बाद यदि व्यक्ति के शरीर में वायरस प्रवेश करता है तो मेमोरी टी सेल बी सेल को संदेश भेजता है और बी सेल एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देते हैं। इससे हमारा शरीर संक्रमण से लड़ना शुरू कर देता है। विशेषज्ञों का कहना है कि पहले इंजेक्शन लगने के बाद व्यक्ति किन्हीं कारणों से संक्रमित आता है तो भी उसको दूसरा इंजेक्शन तय समय के बाद ही लगाया जाएगा।