फैल रहा दुर्लभ न्यूरोलाजिकल रोग GBS, मरीजों को ICU में भर्ती करने की आ रही नौबत

ग्वालियर. डायरिया और सांस की समस्या से पीड़ित मरीजों में गंभीर बीमारी गुलेन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) ने दस्तक दे रही है। यह एक दुर्लभ लेकिन गंभीर न्यूरोलाजिकल विकार है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से नर्वस सिस्टम पर हमला करती है। इससे मरीजों को हाथ-पैरों में कमजोरी, झनझनाहट और कई बार लकवा तक का सामना करना पड़ रहा है। गजराराजा मेडिकल कॉलेज के न्यूरोलॉजी विभाग में औसतन दो मरीज प्रतिदिन भर्ती हो रहे हैं जिनमें परीक्षण के बाद जीबीएस की पुष्टि हुई है।
15 प्रतिशत से अधिक को जीबीएस की पुष्टि
डॉक्टरों के अनुसार, यह बीमारी अक्सर डायरिया या सांस के संक्रमण से ठीक होने के कुछ दिन बाद उभरती है। दूषित खानपान और वायरल संक्रमण इसके प्रमुख कारण हैं। बीते कुछ सप्ताहों में भर्ती होने वाले मरीजों में से 15 प्रतिशत से अधिक को जीबीएस की पुष्टि हुई है। इन मरीजों में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हैं। गंभीर मामलों में मरीजों को आइसीयू में भर्ती तक करना पड़ रहा है, कुछ को वेंटीलेटर सपोर्ट तक की जरूरत पड़ी है।
बीमारी का खर्चा 20 से 25 लाख रुपये तक
जीबीएस से मरीज को पूरी तरह ठीक होने में छह माह से लेकर दो साल तक का समय लगता है। इतना ही नहीं निजी अस्पतालों में इस बीमारी का खर्चा 20 से 25 लाख रुपये तक आता है। इस बीमारी में इस्तेमाल किए जाने वाले इंजेक्शन ही दो से तीन लाख रुपये में आते हैं, जबकि जेएएच के न्यूरोलाजी विभाग में इस बीमारी का इलाज मुफ्त में होता है। यही वजह है कि अस्पताल में इन दिनों काफी संख्या में मरीज उपचार के लिए पहुंच रहे हैं।