कपिल सिब्बल का सोनिया गांधी पर सीधा वार, कहा-हटे गांधी परिवार, दूसरे नेता को मौका दें

पांच राज्यों में करारी हार, नेतृत्व परिवर्तन की मांग, कांग्रेस (Congress) से नेताओं का पलायन सहित कई ऐसे मुद्दे हैं जिनपर कांग्रेस के पुराने नेताओं का दर्द छलक रहा है. लगभग 130 साल के इतिहास में कांग्रेस का अब से ज्यादा पतन संभवतः कभी नहीं हुआ था. इस पतन से कांग्रेस के पुराने नेता बेहद चिंतित हैं और नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे हैं. दिग्गज कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) भी इसमें शामिल हैं. कांग्रेस में सुधार की मांग करने वाले ग्रुप 23 के नेताओं में कपिल सिब्बल पहले ऐसे नेता हैं जिन्होंने खुलकर सोनिया गांधी से पद छोड़ने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि अब गांधी परिवार को कांग्रेस नेतृत्व का भार छोड़ देना चाहिए और किसी दूसरे नेता को इसका दायित्व दे देना चाहिए.

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि पार्टी नेतृत्व कोयल की धरती (यानी उन्हें लगता है कि सब कुछ ठीक है. वास्तविकता से उनका वास्ता नहीं होना) में जी रही हैं. 8 सालों से पार्टी के लगातार पतन के बावजूद भी वह नहीं चेत रहे हैं तो यह कांग्रेस के लिए दुर्भाग्य की बात है. गौरतलब है कि 2020 में कांग्रेस में सुधार की मांग के साथ ग्रुप 23 नेताओं की एक टोली बनी थी. अब इस ग्रुप के नेता खुलकर नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रहे हैं. इन सभी मुद्दों पर कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शामिल कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) का दर्द छलक गया है. हालांकि उनका कोई सुनने वाला नहीं है.

मैं सबकी कांग्रेस चाहता हूं न किस घर की कांग्रेस

कपिल सिब्बल कहते हैं, कुछ लोग कांग्रेस के अंदर के आदमी हैं, कुछ लोग कांग्रेस के बाहर के आदमी हैं. लेकिन असली कांग्रेस और सबकी कांग्रेस के लिए कांग्रेस के बाहर के आदमी को सुनना चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का जिस तरह पतन हो रहा है, वह मुझसे देखा नहीं जा रहा है. उन्होंने कहा कि मैं अंतिम सांस तक सबकी कांग्रेस के लिए संघर्ष करता रहूंगा. सिब्बल ने कहा, सबकी कांग्रेस का मतलब सिर्फ साथ ही नहीं होना है, बल्कि भारत में उन सभी लोगों को एक साथ लाना है जो बीजेपी को नहीं चाहते हैं. हमें ऐसा दृष्टिकोण अपनाना होगा जिसमें परिवर्तन की सभी ताकतें, जो इस देश में सभी संस्थानों के इस निरंकुश कब्जे के खिलाफ हैं, को एक साथ आने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ममता बनर्जी हुईं, शरद पवार हुए, ये सब कांग्रेसी थे लेकिन सभी दूर चले गए हैं. हमें इन सबको साथ लाना है.

177 सांसद, विधायकों ने कांग्रेस छोड़ा है

कपिल सिब्बल ने कहा, वर्तमान चुनाव परिणाम से मुझे कोई हैरानी नहीं हुई. 2014 से हम लगातार हार रहे हैं. हम एक के बाद एक राज्य हार रहे हैं. जहां हम सफल हुए, वहां भी हम खुद को एक नहीं रख पाए. कांग्रेस के आदमियों का पलायन आज भी बदस्तूर जारी है. दुर्भाग्य की बात यह है कि कांग्रेस से ऐसे लोगों का पलायन हुआ है जिन्हें नेतृत्व का भरोसा था. कपिल सिब्बल ने कहा, 2014 से अब तक लगभग 177 सांसद और विधायक और 222 उम्मीदवार कांग्रेस छोड़ चुके हैं. किसी भी अन्य पार्टी में इतनी बड़ी संख्या में लोग कांग्रेस छोड़कर नहीं गए हैं.

लाखों लोग जो बीजेपी की विचारधारा के विरोधी हैं

कपिल सिब्बल ने कहा, इस देश में ऐसे लाखों लोग हैं जो किसी भी राजनीतिक दल में नहीं हैं, लेकिन जिनकी विचार प्रक्रिया समावेशी, एकजुटता, शांति, सद्भाव, भविष्य में परिवर्तन के लिए कांग्रेस की विचार प्रक्रिया से मेल खाती है. ऐसे लाखों लोग हैं जिनका मकसद आम लोगों की भलाई, गरीबी को दूर करना, निरक्षरता को दूर करना है. ऐसे लोग अपनी विचार प्रक्रियाओं के माध्यम से कांग्रेसी हैं. इसे ही मैं सबकी कांग्रेस कहता हूं. कुछ लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं. ये कोई भी हो सकते हैं –ए, बी सी, कोई भी. लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इन एबीसी को लगता है कि घर की कांग्रेस के बिना सबकी कांग्रेस नहीं चल सकती. हमारे लिए यही चुनौती है. मैं किसी एबीसी के खिलाफ नहीं हूं लेकिन हमें इस चुनौती को स्वीकार करना होगा.

अंदर के आदमी कभी सोनिया को हटने के लिए नहीं कहेंगे

कपिल सिब्बल ने कहा कि सोनिया गांधी को खुद ही नेतृत्व की भूमिका से हट जाना चाहिए क्योंकि जो समिति इस बात को कहने के लिए जिम्मेदार है वह उनसे पद छोड़ने के लिए कभी नहीं कहेगी क्योंकि उस समिति के सभी लोगों का चयन उन्होंने खुद किया है. इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति के फैसले से उन्हें कोई हैरानी नहीं हुई क्योंकि बड़ी संख्या में कांग्रेस के लोग इससे बाहर हैं. सीडब्ल्यूसी में कांग्रेस के अंदर के लोग हैं जो कभी सोनिया गांधी से नेतृत्व को त्यागने के लिए नहीं कहेंगे.

राहुल गांधी पर भी सवाल

सिब्बल ने कहा, हम यह मानकर चल रहे हैं कि राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं हैं बल्कि सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष हैं. लेकिन राहुल गांधी पंजाब जाते हैं और चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम कैंडिडेट घोषित कर देते हैं. वे किस अधिकार के तहत इस तरह का काम करते हैं. वे पार्टी अध्यक्ष नहीं हैं लेकिन वे सभी निर्णय लेते हैं. एक तरह से वही वास्तविक कांग्रेस अध्यक्ष हैं. ऐसे में कांग्रेस के अंदर के आदमी क्यों कह रहे हैं कि उन्हें कमान फिर से दे देनी चाहिए? जबकि वास्तविकता यह है कि वे वास्तविक अध्यक्ष हैं. बेशक वे विधिवत कांग्रेस अध्यक्ष बन जाएं लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.