सेना हेडक्वार्टर के बाद अब चीन ने खुफिया एजेंसी में भी की पाक अधिकारियों की तैनाती, भारत की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

नई दिल्ली. आपने ये तो सुना ही होगा कि दुनिया के ज्यादातर देश एक दूसरे से सुरक्षा संबंधी जानकारियां साझा करते हैं लेकिन क्या कभी आपने ये सुना है कि कोई देश अपनी सेना के हेडक्वार्टर में दूसरे देश के सैन्य अफसरों की तैनाती करते हैं. जी हां, कुछ ऐसे देश भी हैं जो ऐसा करते हैं और ये देश हैं चीन (China) और पाकिस्तान (Pakistan). ये दोनों देश एक दूसरे को ऑल वेदर फ्रेंड की संज्ञा देते हैं. खुफिया रिपोर्ट (Intelligence Report) के अनुसार पहले तो इन दोनों देशों के बीच मजूबत संबंध थे लेकिन अब सेना के साथ साथ खुफिया एजेंसियों के बीच भी तालमेल बढ़ गया है.

जानकारी के अनुसार चीनी पीएलए के हेडक्वार्टर (PLA Headquarters) में पाकिस्तानी सैन्य अफसर की तैनाती के बाद अब चीनी इंटेलिजेंस एजेंसी के दफ्तर में भी पाक सेना के अफसर की तैनाती कर दी गई है. यह बदलाव साफ संकेत दे रहा है कि पीएलए और पाकिस्तान सेना के बीच सहयोग अब एकीकरण में बदल गया है. खुफिया जानकारियों को साझा करने के दोनों देशों के बीच के समझौते के चलते पीएलए हेडक्वार्टर (ज्वाइंट स्टाफ डिपार्टमेंट) और मिनिस्ट्री ऑफ़ स्टेट सिक्योरिटी यानी कि चीन की इंटेलिजेंस एजेंसी ( MSS) में ही पाकिस्तान के कर्नल रैंक के एक-एक अधिकारी को तैनात किया गया है.

पहले सिर्फ पीएलए में थी तैनाती

इससे पहले सिर्फ पीएलए हेडक्वार्टर में ही पाक सैन्य अफसर की तैनाती की गई थी. सूत्रों के मुताबिक पाक सेना के दो लाइजनिंग अफसर वेस्टर्न थियेटर कमांड जो कि भारतीय सीमा से लगती है और साउथ थियेटर कमांड के हेडक्वार्टर में भी तैनात किए गए हैं और पिछले कुछ समय में पीएलए के अलग-अलग फार्मेशन में पाकिस्तानी सैन्य अफसरों की तैनाती कई गुना बढ़ गई है.

बीजिंग के पाकिस्तानी दूतावास में तो डिफेंस अटैचे के अलावा एक दर्जन से अधिक सैन्य अफसरों की मौजूदगी है. सूत्रों के मुताबिक ये सभी चीन के साथ हो रहे सैन्य समझौते और अन्य प्रोजेक्ट के संबंध में लाइजनिंग के लिए मौजूद हैं. जानकारों का मानना है कि चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट रोड इनिशियेटिव का हिस्सा चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा पर काम जारी है और उसी के चलते चीन पाकिस्तान की आर्थिक और सैन्य मदद में जुटा है.

अफगानिस्तान के लिए रास्ता बनाने में जुटा चीन

गिलगित बालटिस्तान में मौजूद स्कार्दू एयर बेस पर नए रनवे का काम हो या फिर फाइटर एयरक्राफ्ट, ड्रोन, रडार, एयर डिफेंस सिस्टम की सप्लाई हो या फिर बिजली उत्पादन के लिए बड़े डैम बनाना. ये सभी काम सुचारू रूप से चलें और पाकिस्तान के हितों को कोई नुकसान न हो इसको मॉनिटर करने के लिए सैन्य अफसरों की तैनाती पाकिस्तान के लिए जरूरी थी. साथ ही अफगानिस्तान को पिछले पांच साल से बीआरआई प्रोजेक्ट में शामिल करने की कोशिशों पर जो पूर्णविराम लगा हुआ था वो अफगानिस्तान पर तालिबान के काबिज होने के बाद अब काफी हद तक दूर होता नजर आ रहा है.

इस समय पाकिस्तान ही एक ऐसा देश है जो कि चीन के लिए अफगानिस्तान का रास्ता खोल सकता है. लिहाजा चीन ने भी अपनी दोनों बाहें खोलकर अपने सैन्य और इंटेलिजेंस एजेंसियों के दफ़्तरों में पाकिस्तानी अफसरों की एंट्री करा दी. यही नहीं खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी की खुफिया एजेंसी एमएसएस ने तो नेपाल में आईएसआई एजेंटों के साथ सांठ गांठ की खबरें भी हैं.

खुफिया रिपोर्ट में ये जानकारी सामने आई है कि भारत और नेपाल की सीमा पर भारतीय तैयारियों और मौजूदगी की जानकारी के लिए चीनी खुफिया एजेंसी नेपाल में मौजूद पाकिस्तानी आईएसआई एजेंटों से जानकारी जुटा रही है. बहरहाल चीन के सैन्य हेडक्वार्टर में पाकिस्तानी सैन्य अफसरों की मौजूदगी ये साफ बता रही है कि दोनों देश किस तरह से एकजुट होकर काम कर रहे हैं और ये आने वाले दिनों में भारत के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है.