मरीजों को मिल रही है सिर्फ आधी दवाएं ,मरीज एनएस की बोतल तक बाजार से खरीदने को मजबूर

जयारोग्य चिकित्सालय में इन दिनों ओपीडी में आने वाले मरीजों को पूरी दवाएं नहीं मिल रही हैं। डॉक्टर यदि पर्चे पर चार या छह तरह की दवाएं लिख रहे हैं तो मरीज को इनमें से आधी दवाएं ही मिल रही हैं।

हर मरीज को खाली पेट दी जाने वाली पैंटाप्राजोल, फैक्चर के मरीजों की दी जाने वाली कैल्शियम की दवा तक नहीं है। इतना ही नहीं सिट्रजिन जैसी दवा भी नहीं है। डायबिटीज के मरीजों को दी जाने वाली दवा मैटफॉमिल भी मरीजों को कई दिनों से बाजार से खरीदनी पड़ रही है।

उधर वार्डों में मरीजों को लगने वाली एनएस की बोतल की बाजार से मंगवानी पड़ रही हैं। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि दवाओं के ऑर्डर लगे हैं,लेकिन दवाएं नहीं आ रही हैं। इसके लिए कई बार रिमाइंडर भेजे जा चुके हैं।

ग्वालियर-चंबल संभाग के साथ-साथ उत्तरप्रदेश और राजस्थान के समीपवर्ती जिलों के मरीज जेएएच में इलाज कराने आते हैं। कोरोना काल को देखते हुए मरीजों की कम संख्या में आ रहे थे। कोरोना के मरीजों की संख्या कम होने के साथ ही जेएएच में मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी है।

जैसे-जैसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है,वैसे ही दवाओं की कमी सामने आने लगी है। कोरोना काल में ओपीडी में आने वाले मरीजों की दी जाने वाली दवाओं के ऑर्डर कार्पोरेशन से पूरे नहीं हो रहे हैं। यही कारण है कि औपीडी में मरीजों की संख्या तो बढ़ गई और सामान्य मरीजों के भर्ती होने की संख्या भी बढ़ी है।

कार्पोरेशन से दवाएं नहीं आने के कारण अस्पताल में दवाओं की कमी होने लगी है। इसके चलते मरीजों को बाजार से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। फ्रेक्चर होने के कारण एक मरीज को फ्रेक्चर हो गया है। डॉक्टर ने उन्हें छह तरह की दवाएं लिखीं।

इसमें कैल्शियम की दवा के साथ पैंटाप्राजोल भी शामिल थी,लेकिन ये दवाएं उन्हें नहीं मिली हैं। राजेश निवासी कंपू का कहना है कि उसे डायबिटीज की दवा नहीं मिली है। उधर वार्ड में भर्ती मरीजों को चढ़ने वाली एनएस की बोतल, ग्लब्स भी बाजार से खरीदनी पड़ रही है। सूत्रों का कहना है कि मार्च से लेकर अक्टूबर तक अस्पताल प्रशासन ने दवाओं के 250 ऑर्डर कार्पोरेशन को लगाए हैं।

दवाओं व अन्य सामान के ऑर्डर कॉर्पोरेशन में लगे हैं

दवाओं व अन्य सामान के ऑर्डर कार्पोरेशन में लगे हैं। कई बार रिमाइंडर भी भेजा जा चुका है। पुन: फिर रिमाइंडर भेज रहे हैं। मरीजों को अगर कोई दवाएं नहीं मिली तो इस संबंध में सेंट्रल विंडो के प्रभारी से बात कर दवा की जाएगी। अगर कोई दवा नहीं है तो लोकल पर्चेज कर दवा उपलब्ध कराई जाएगी।
डॉ. आरकेएस धाकड़, अधीक्षक, जेएएच