BCCI के साथ विवाद में DCHL के पक्ष में फैसला, 4800 करोड़ रुपये देने का निर्देश

एक पंचाट या मध्यस्थता अदालत ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के साथ विवाद में डेक्कन क्रॉनिकल्स होल्डिंग्स लि. (डीसीएचएल) के पक्ष में फैसला देते हुए बीसीसीआई को डीसीएचएल को 4,800 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा है. यह मध्यस्थता फैसला कंपनी की इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) फ्रेंचाइज टीम को बर्खास्त करने से संबंधित मामले में आया है.

डीसीएचएल के एक वकील ने यह जानकारी दी. मध्यस्थ ने फ्रेंचाइज को बर्खास्त करने के फैसले को गैरकानूनी ठहराया. बीसीसीआई ने 2008 में आईपीएल टी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट की रूपरेखा बनाई थी. उस समय डीसीएचएल को डेक्कन चार्जर्स हैदराबाद के लिए सफल बोली लगाने वाला घोषित किया गया था. डेक्कन चार्जर्स और बीसीसीआई के बीच इस बारे में दस साल का करार हुआ. वकील ने बताया कि 11 अगस्त, 2012 को बीसीसीआई ने डीसीएचएल की फ्रेंचाइज रद्द करने के लिए कारण बताओ नोटिस दिया. नोटिस का जवाब देने के 30 दिन का समय पूरा होने से एक दिन पहले फ्रेंचाइज को रद्द करने की पुष्टि कर दी गई.

इसके बाद डीसीएचएल बंबई उच्च न्यायालय गई. न्यायालय ने सितंबर, 2012 को उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश सीके ठक्कर को इस मामले का फैसला करने के लिए एकल मध्यस्थ नियुक्त किया. मध्यस्थ ने शुक्रवार को इस फ्रेंचाइज रद्द करने के फैसले को गैरकानूनी करार देते हुए डीसीएचएल को 630 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति और 4,160 करोड़ रुपये के मुआवजा का भुगतान किए जाने का निर्देश दिया. बहरहाल, बीसीसीआई मध्यस्थ के निर्णय को बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकता है.