शिवराज का जोखिम भरा मंत्रिमंडल, 14 मंत्रियों को 6 महीने में जीतना होगा चुनाव

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लंबे इंतजार के बाद आखिरकार गुरुवार को कैबिनेट का विस्तार किया. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 28 नेताओं को मंत्री पद की शपथ दिलाई, जिनमें से 20 कैबिनेट और 8 राज्यमंत्री हैं. इसी के साथ शिवराज मंत्रिमंडल में अब कुल 34 मंत्री हो गए हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी 14 मंत्री शामिल हैं, जो मौजूदा समय में विधानसभा के सदस्य नहीं है. ऐसे में इन 14 मंत्रियों को छह महीने के अंदर विधायक बनना होगा नहीं तो मंत्री पद से हाथ धोना पड़ेगा.

बता दें कि कमलनाथ और पूर्व सीएम दिग्‍विजय सिंह से अनबन होने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. इसके बाद सिंधिया के सभी 22 समर्थक विधायकों ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था, जिसमें 6 कैबिनेट मंत्री भी शामिल थे. इसी के चलते कमलनाथ की सत्ता से विदाई और शिवराज सिंह चौहान की ताजपोशी हुई.

सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए 22 में से 14 नेताओं को शिवराज मंत्रिमंडल में जगह मिली है. सिंधिया समर्थक तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को शिवराज कैबिनेट में अप्रैल में ही शामिल कर लिया गया था. वहीं, 12 नेताओं को गुरुवार को मंत्री बनाया गया है, जिनमें 7 कैबिनेट और 5 राज्य मंत्री बनाए गए हैं. महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रभुराम चौधरी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, बिसाहू लाल सिंह, एंदल सिंह कंसान, राज्यवर्धन सिंह और को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है जबकि, ओपीएस भदौरिया, गिरिराज दंडोतिया, सुरेश धाकड़ और बृजेंद्र सिंह यादव को राज्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

1.तुलसीराम सिलावट

तुलसीराम सिलावट इंदौर जिले की सांवेर सीट से कांग्रेस के टिकट पर 2018 का चुनाव जीते थे और कमलनाथ सरकार में मंत्री बनाए गए थे. लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से कांग्रेस और विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया. मौजूदा समय में वो विधानसभा के सदस्य नहीं है.

2.गोविंद सिंह राजपूत

गोविंद सिंह राजपूत सागर जिले की सुर्खी सीट से कांग्रेस के टिकट पर 2018 का चुनाव जीते थे और कमलनाथ सरकार में मंत्री बने थे. सिंधिया की वजह से ही गोविंद सिंह भी मंत्री और विधायक पद छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. फिलहाल किसी भी सदन के सदस्य नहीं है.

3.राजवर्धन सिंह दत्तीगांव

राजवर्धन मध्य प्रदेश के धार जिले की बदनावर सीट से तीन बार विधायक रहे चुके हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर राजवर्धन ने 51,506 वोटों से जीत हासिल की थी. इसी साल मार्च में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है और अब शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री है. ऐसे में उन्हें भी चुनावी मैदान में किस्मत आजमाना होगा और जीत नहीं दर्ज कर पाते तो कुर्सी छोड़नी पड़ेगी.

4.हरदीप सिंह डांग

हरदीप सिंह डांग मध्य प्रदेश के मंदसौर के सुवासरा से दो बार विधायक रहे चुके हैं. 2018 के चुनावों में हरदीप मंदसौर जिले से 350 वोटों के अतंर से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की थी, लेकिन कमलनाथ सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने के चलते उन्होंने कांग्रेस से बगावत पर बीजेपी का दामन थाम लिया है और शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री बन गए हैं, लेकिन अब उन्हें अपनी कुर्सी को बचाए रखने की चुनौती है.

5.बिसाहू लाल सिंह

बिसाहूलाल सिंह मध्य प्रदेश के अनूपपुर सीट से विधायक रहे हैं. 2018 के चुनावों में 11,561 वोटों के अंतर से पांचवीं बार विधायक चुने गए थे, लेकिन कमलनाथ सरकार में मंत्री पद नहीं मिलने से कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी का दामन थाम लिया है. शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री बने हैं, ऐसे में अब उन्हें 6 महीने के अंदर जीत दर्ज करनी होगी.

6.ऐंदल सिंह कंसाना

शिवराज कैबिनेट में मंत्री बने ऐंदल सिंह कंसाना मध्य प्रदेश के मुरैना जिले की सुमावली विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं. 2018 के चुनावों में कंसाना ने 13,661 वोटों से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की थी, लेकिन सिंधिया के साथ वो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए और अब मंत्री बने हैं.

7.महेंद्र सिंह सिसोदिया

महेंद्र सिंह सिसोदिया 2018 के विधानसभा चुनावों में गुना जिले की बामोरी से 27,920 वोटों के अतंर से जीतकर विधायक बने थे. सिंधिया के साथ उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है और शिवराज सरकार में मंत्री बनाए गए हैं.

8.इमरती देवी

शिवराज कैबिनेट में मंत्री बनी इमरती देवी तीन बार विधायक रही हैं. 2018 में तीसरी बार ग्वालियर की डबरा सीट से करीब 50 हजार वोटों से जीतकर विधायक बनी थीं और कमलनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री थीं. लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उन्होंने कांग्रेस और मंत्री पद छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है. ऐसे में उब उन्हें उपचुनाव में हरहाल में जीत दर्ज करनी होगी.

9.डॉ. प्रभुराम चौधरी

डॉ. प्रभुराम चौधरी मध्य प्रदेश की सांची विधानसभा सीट से 2018 के चुनाव में 10,813 वोटों से जीतकर तीसरी बार विधायक चुने गए थे. कमलनाथ सरकार में 2018 में कैबिनेट मंत्री बने, लेकिन सिंधिया के साथ उन्होंने मार्च में कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया. अब शिवराज सरकार में भी कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं, जिसके बाद अब उन्हें उपचुनाव में जीत दर्ज करना होगा.

10.प्रद्युम्न सिंह तोमर

प्रद्युम्न सिंह तोमर 2018 के चुनाव में ग्वालियर विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर दूसरी बार विधायक चुने गए और कमलनाथ सरकार कैबिनेट मंत्री बने थे. लेकिन सिंधिया के साथ उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है और अब शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं.

11. ओपीएस भदौरिया

शिवराज कैबिनेट में मंत्री बने ओपीएस भदौरिया मध्य प्रदेश की मेहगांव विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं. 2018 के चुनाव में मेहगांव सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर 25,814 वोटों से बीजेपी के वरिष्ठ नेता राकेश शुक्ला को हराया था, लेकिन सिंधिया के साथ उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है. ऐसे में अब मंत्री पद को बचाए रखने के लिए विधायकी जीतना लाजिमी हो गया है.

12.गिरिराज दंडोतिया

शिवराज कैबिनेट में मंत्री बने गिरिराज दंडोतिया सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाते हैं. 2008 में अपना पहला चुनाव हारने के बाद दंडोतिया 2018 के चुनावों में मुरैना विधानसभा सीट से उसी भाजपा उम्मीदवार को 18,477 वोटों से हराकर पहली बार विधायक बने थे. उन्होंने सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया और अब उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया है.

13.ब्रजेन्द्र सिंह यादव

शिवराज कैबिनेट में राज्यमंत्री बने ब्रजेन्द्र सिंह यादव गुना के मुंगोली सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं. यह सिंधिया के इलाके में आता है और ब्रजेन्द्र यादव उनके करीबी नेता माने जाते हैं. इसीलिए सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था और अब शिवराज कैबिनेट में मंत्री बनाए गए हैं. ऐसे में अब उनके लिए उपचुनाव करो या मरो की स्थिति वाला बन गया है.

14. सुरेश धाकड़

सुरेश धाकड़ ने सरपंच का चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. 2018 के चुनाव में शिवपुरी जिले की पोहरी सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर 7,918 वोटों के अंतर से जीत हासिल कर पहली बार विधायक बने. लेकिन सिंधिया के साथ उन्होंने भी कांग्रेस को अलविदा कह दिया है और अब शिवराज कैबिनेट में राज्यमंत्री बनाए गए हैं. ऐसे में अब इन सभी 14 नेताओं छह महीने में चुनाव जीतना होगा, नहीं जीते तो मंत्री पद हाथ से निकल जाएगा.