सिंधिया को साधने में बीजेपी का MP में बिगड़ा सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरण

मध्य प्रदेश में शिवराज कैबिनेट का आखिरकार गुरुवार को विस्तार हो गया है. कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके 22 समर्थकों के साथ सत्ता का संतुलन साधने में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार का सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरण बिगड़ गया है. सिंधिया के 14 समर्थकों को मंत्री बनाया गया है, जो प्रदेश के एक ही खास इलाके से आते हैं.

  • शिवराज कैबिनेट में ग्वालियर-चंबल से 12 मंत्री बने
  • शिवराज सरकार में 50 फीसदी सवर्ण जाति के मंत्री
  • विंध्य-महाकौशल इलाके को नहीं मिला प्रतिनिधित्व

शिवराज कैबिनेट में भले ही उपचुनाव वाले ग्वालियर-चंबल इलाके का पलड़ा भारी हो, लेकिन 2018 के चुनाव में बीजेपी की लाज बचाने वाले विंध्य और महाकौशल इलाके को तवज्जो नहीं मिल सकी. ऐसे ही मंत्रि मंडल के जातीय समीकरण को देखें तो राजपूत समुदाय के नेताओं को अच्छी खासी भागीदारी मिली है तो वहीं ओबीसी के तहत आने वाले लोधी समुदाय को किनारे लगा दिया गया है, जिसे लेकर विरोध के सुर भी उठने लगे हैं. वहीं, राजपूत समुदाय की तुलना में ब्राह्मणों को खास अहमियत नहीं मिल सकी है.

ग्वालियर-चंबल पर फोकस

सिंधिया के बीजेपी खेमे में आने के बाद मध्य प्रदेश में ग्वालियर-चंबल इलाके का समीकरण बदल गया है. बीजेपी का अब यह नया गढ़ बन गया है. शिवराज कैबिनेट में ग्वालियर-चंबल से 12 मंत्री शामिल हैं. इनमें बीजेपी खेमे से नरोत्तम मिश्रा, यशोधरा राजे सिंधिया, भरत सिंह कुशवाहा और अरविंद भदौरिया को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. वहीं, सिंधिया गुट से प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, ओपीएस भदौरिया, गिरिराज दंडोतिया, सुरेश धाकड़, ऐंदल सिंह कंसाना, ब्रजेन्द्र सिंह यादव और महेंद्र सिंह सिसोदिया को मंत्री बनाया गया है.

2018 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल की कुल 34 सीटों में से बीजेपी को 7 सीटें मिली थीं जबकि कांग्रेस 26 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. हालांकि, सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ने वाले 22 विधायकों में से 16 विधायक इसी इलाके से हैं, जहां उपचुनाव होने हैं. इन 16 विधायकों में से 8 को शिवराज कैबिनेट में जगह मिली है.

मालवा-निमाड़ अंचल के बड़वानी विधायक प्रेम सिंह पटेल, हरसूद विधायक विजय शाह, जावद विधायक ओमप्रकाश सकलेचा, महू विधायक ऊषा ठाकुर को कैबिनेट मंत्री और शुजालपुर विधायक इंदर सिंह परमार को राज्यमंत्री बनाया गया है. इसके पहले तुलसीराम सिलावट को मंत्री बनाया गया है. इसके बाद भी बीजेपी चंबल-ग्वालियर की तुलना में मालवा-निमाड़ को खास तवज्जो नहीं दी है.

विंध्य-महाकौशल नजर अंदाज

मध्य प्रदेश के विंध्य इलाके में कुल 30 विधानसभा सीट हैं, जिनमें से 24 पर बीजेपी ने 2018 में जीत दर्ज की थी. बावजूद इस विंध्य इलाके से शिवराज कैबिनेट में राम खेलावन पटेल सहित महज दो मंत्री को ही जगह मिली है. ऐसे ही 2018 में महाकौशल इलाके की 38 सीटों में से 13 सीटें बीजेपी के खाते में आयी थीं. इस क्षेत्र से केवल एक विधायक रामकिशोर कांवरे को मंत्रि मंडल में जगह मिली है. वहीं, कांग्रेस सरकार में महाकौल से दो कैबिनेट मंत्री शामिल थे. ऐसे ही रीवा और शहडोल संभाग से भी एक-एक मंत्री ही बनाया गया है.

शिवराज कैबिनेट का जातीय समीकरण

शिवराज कैबिनेट के मंत्रियों का जातीय समीकरण देखें तो सवर्णों के बीच संतुलन नहीं साध सके. मंत्रिमंडल में राजपूत समुदाय को सबसे ज्यादा तवज्जो मिली है जबकि ब्राह्मण समुदाय को अहमियत नहीं दी गई है. हालांकि, सवर्ण समुदाय से 17 मंत्री बनाकर सीधे तौर पर 50 फीसद हिस्सेदारी शिवराज कैबिनेट में दी गई है. बाकी 50 फीसदी हिस्सेदारी में सभी जातियों को शामिल किया गया है.

मध्य प्रदेश में शिवराज कैबिनेट में वैश्य, सिंधी, लोधी, जाटव, पंवार सहित कई जातियों का कोई भी प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है. इसीलिए बीजेपी की वरिष्ठ नेता उमा भारती नाराज हैं. उन्होंने सार्वजनिक रूप से कैबिनेट में लोध समुदाय को जगह नहीं दिए जाने को लेकर सवाल खड़े किए हैं.

शिवराज कैबिनेट में राजपूत मंत्रियों का दबदबा

शिवराज मंत्रि मंडल में कुल नौ राजपूत समुदाय से मंत्री बनाए गए हैं जबकि ब्राह्मणों समुदाय से महज तीन को ही जगह मिली है. राजपूत समुदाय से गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, राजवर्द्धन सिंह दत्तीगांव, महेंद्र सिंह सिसौदिया, ओपीएस भदौरिया, भूपेंद्र सिंह, अरविंद भदौरिया, बृजेंद्र प्रताप सिंह और ऊषा ठाकुर शामिल हैं. वहीं ब्राह्मण समुदाय से गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा और सिंधिया के साथ आए गिर्राज डण्डोतिया को मंत्री बनाया गया है.

दलित-आदिवासी-OBC की हिस्सेदारी

शिवराज कैबिनेट में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को अच्छी खासी जगह दी गई है. अनुसूचित जाति और जनजाति से 4-4 मंत्री बनाए गए हैं जबकि ओबीसी कोटे से 9 मंत्रियों को जगह दी गई है. मुस्लिम समुदाय से भले ही किसी को मंत्री न बनाया गया हो, लेकिन अल्पसंख्यक वर्ग से भी देखा जाए तो ओपी सकलेचा और हरदीप सिंह डंग को मंत्रि मंडल में जगह दी गई है.