MP में मीसाबंदियों को लेकर BJP-कांग्रेस एक बार फिर आमने-सामने

कमलनाथ सरकार ने 15 अगस्त पर मीसाबंदियों को सम्मानित करने की परंपरा को खत्म कर दिया है. मीसाबंदियों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं. इस पंरपरा की शुरूआत मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में की गई थी. जिसके बाद इस बार15 अगस्त को होने वाले कार्यक्रमों में मीसाबंदियों को आमंत्रित नहीं किया गया. जिसको लेकर बीजेपी ने कई सवाल खड़े किए है.

आपको बता दें कि शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में राष्ट्रीय पर्वों पर मीसाबंदियों को सम्मानित करने की परंपरा शुरू की गई थी. इसके तहत 26 जनवरी और 15 अगस्त को शासकीय कार्यक्रमों में मीसाबंदियों को ना केवल आमंत्रित किया जाता था बल्कि शॉल-श्रीफल भेंट कर उन्हें सम्मानित भी किया जाता था. हालांकि सूबे में 15 साल बाद सत्ता में आई कांग्रेस ने इस परंपरा को रोक दिया है.

15 अगस्त को होने वाले कार्यक्रम में मीसाबंदियों को आमंत्रित नहीं किया गया है. कलेक्टरों को भेजे दिशानिर्देश में सामान्य प्रशासन विभाग ने लिखा है कि जिला स्तर पर विधानसभा अध्यक्ष/ विधानसभा उपाध्यक्ष/ मंत्री/कलेक्टर ध्वजारोहण करेंगे. समारोह में सामूहिक राष्ट्र गान होगा. होमगार्ड, एनसीसी, एसएएफ की संयुक्त परेड होगी. प्रदेश की जनता के नाम मुख्यमंत्री के संदेश का वाचन किया जायेगा.

कार्यक्रम में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, कारगिल युद्ध में शहीद सैनिकों के परिजनों और गणमान्य व्यक्तियों को आमंत्रित किया जायेगा.  इस निर्देश में पहले मीसाबंदियों का भी जिक्र होता था जिन्हें शिवराज सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों का दर्जा दिया था हालांकि इस बार ऐसा नहीं हुआ है. बीजेपी ने इसे तुगलकी फरमान बताते हुए कहा, 'कांग्रेस बदले की राजनीति कर रही है.

बीजेपी ने सवाल उठाए हैं कि मीसाबंदी बुजुर्ग हो चले हैं ऐसे में उन्हें सम्मान देने से कांग्रेस को परेशानी क्यों है? बीजेपी ने कहा है कि कांग्रेस को मीसाबंदियों के सम्मान से समस्या है, 370 हटाने पर कांग्रेस को समस्या है. वहीं कांग्रेस का कहना है कि मीसाबंदियों का आज़ादी की लड़ाई से कोई लेना देना नहीं था. तत्कालीन शिवराज सरकार में मीसाबंदियों की आड़ में बीजेपी कार्यकर्ताओं को उपकृत करने के लिए उन्हें लोकतंत्र सेनानियों का दर्जा दिया गया था.