कांग्रेस में इस्तीफों का दौर, ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद प्रियंका पर भी बढ़ा दबाव

राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद लोकसभा चुनाव के हार की जिम्मेदारी लेते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या प्रियंका गांधी भी अपने पद से इस्तीफा देंगी.

लोकसभा चुनाव से ऐन पहले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की नैया पार लगाने के लिए प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया को एक साथ महासचिव बनाया गया था. साथ ही प्रियंका को पूर्वी यूपी और सिंधिया को पश्चिम यूपी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन दोनों नेता पूरी तरह से फेल रहे. राहुल गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए सिंधिया ने महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या प्रियंका गांधी भी अपने पद से इस्तीफा देंगी, क्योंकि सिंधिया की तरह उनकी भी जिम्मेदारी बनती है?

बता दें कि 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी को कानपुर से लेकर गोरखपुर मंडल तक की 42 सीटों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. जबकि, ज्योतिरादित्य सिंधिया के कंधों पर पश्चिम यूपी की 38 लोकसभा सीटों का प्रभार था. राहुल गांधी की अध्यक्षता में चुनाव में उतरी कांग्रेस को प्रियंका और सिंधिया से बेहतर नतीजों की उम्मीद थी लेकिन आलम यह रहा कि सूबे में पार्टी को जबरदस्त हार का मुंह देखना पड़ा. महज सोनिया गांधी अपनी सीट रायबरेली ही बचा सकीं.

सिंधिया की जिम्मेदारी वाले 38 संसदीय सीटों में से महज इमरान मसूद ही अपनी जमानत बचाने में सफल थे. वहीं, प्रियंका गांधी के प्रभार वाले इलाके में राहुल गांधी अमेठी और श्रीप्रकाश जायसवाल कानपुर से ऐसे उम्मीदवार रहे, जिनकी जमानत बची थी. कांग्रेस का दुर्ग माने जाने वाले अमेठी में राहुल गांधी को करारी हार का सामना करना पड़ा.

अमेठी में गांधी परिवार के किसी सदस्य को आपातकाल के बाद पहली बार इस लोकसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा. 1977 में संजय गांधी को भारतीय लोकदल के रवींद्र प्रताप सिंह ने हराया था और अब राहुल गांधी को बीजेपी की स्मृति ईरानी ने मात दी है. इस हार ने राहुल ही नहीं बल्कि कांग्रेस को भी हिलाकर रख दिया है. अमेठी संसदीय सीट की जिम्मेदारी प्रियंका गांधी के कंधों पर थी. प्रियंका गांधी अमेठी में चुनाव प्रचार ही नहीं बल्कि संगठन में नियुक्त से लेकर विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के चयन का काम भी किया. इस चुनाव में ही नहीं बल्कि 2004 से ही वह काम देख रही थीं. इसके बावजूद अमेठी का किला नहीं बचा सकीं.

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की इतनी बुरी हालत आपातकाल के दौर में हुई थी, जब 1977 में पार्टी का सूबे में खाता तक नहीं खुला था. इस बार के लोकसभा चुनाव में भी नतीजे आपातकाल से कम नहीं थे. यही वजह रही कि राहुल गांधी की तर्ज पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी हार की जिम्मेदारी लेते हुए महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है.

सिंधिया के इस्तीफा देने के बाद प्रियंका गांधी पर भी दबाव बढ़ गया है, क्योंकि दोनों नेता एक साथ महासचिव बनाए गए थे. कांग्रेस के एक ही कमरे में दोनों नेता बैठते थे और एक साथ ही उत्तर प्रदेश में चुनाव अभियान की शुरुआत की थी.  ऐसे में सवाल उठता है कि क्या प्रियंका गांधी भी पूर्वी यूपी में हार की जिम्मेदारी लेंगी और महासचिव पद और पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रभारी पद से इस्तीफा देंगी.