श्योपुर परिषद अध्यक्ष को हाईकोर्ट ने काम करने से रोका

ग्वालियर. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने श्योपुर नगरपरिषद की अध्यंक्षा रेणु गर्ग को तत्काल प्रभाव से कार्य करने पर रोक लगा दी है। न्यायालय ने उनके पद पर कार्य करने को अवैध करार दिया है। आदेश सोमवार की सुबह 11.10 से प्रभावी हो गया है। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि राजपत्र में अधिसूचना के बिना अध्यक्ष के रूप में काम करना गैरकानूनी है। न्यायालय ने भी भी टिप्पणी की है कि प्रतिवादी विभिन्न अदालतों में विरोधाभासी रूख अपनाकर कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग कर रहे हैं।
यह मामला सुमेर सिंह द्वारा रेणू गर्ग के निर्वाचन को न्यायालय में चुनौती देने से जुड़़ा हुआ है। सुमेर सिंह ने पहले निचली अदालत में चुनाव याचिका दायर की थी। जिसे कई आधारों पर खारिज कर दिया गया था। याचिका खारिज करने का एक प्रमुख आधार यह था कि इसे समय से पहले (प्रीमैच्योर) दायर किया गया था। एमपी नगरपालिका अधिनियम की धारा 20(3) (द्व) के मुताबिक चुनाव परिणाम की राजपत्र में अधिसूचना की तारीख से 30 दिनों के भीतर ही चुनाव याचिका दायर की जा सकती है। चूंकि याचिका इस निर्धारित अवधि से पूर्व दायर की गयी थी। इस लिये निचली अदालत ने उसे खारिज कर दिया था और इसके बाद सुमेर सिंह ने हाईकोर्ट में सिविल रिवीजन याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने रेणू गर्ग को कार्य करने से रोक दिया है।
कोर्ट ने पूरे मामले को लेकर क्या कहा
कोर्ट ने कहा कि बिना राजपत्र अधिसूचना के प्रतिवादी नंबर 1 रेणु गर्ग अध्यक्ष के रूप में कार्य नहीं कर सकतीं।
इन परिस्थितियों में, कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता जताते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया।
कोर्ट ने राज्य के वकील को यह आदेश तुरंत अध्यक्ष, नगर परिषद श्योपुर और सीईओ, नगर परिषद श्योपुर को आदेश की जानकारी दी जाए।
सिविल रिवीजन अंतिम सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली।