मैं चोर हूं... भैंसों और मुर्गों का डाकू हूं... रामपुर उपचुनाव में आजम खान ने कुछ यूं खेला इमोशनल कार्ड

रामपुर. रामपुर विधानसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशी आसिम रजा के लिए आजम खान ने प्रचार करना शुरू कर दिया है. जनसभाओं में आजम खान जमकर इमोशनल कार्ड खेल रहे हैं. एक जनसभा को संबोधित करते हुए आजम खान ने कहा कि सरकारें बहुत सी आईं, हमारी भी सरकारें आईं, लेकिन अमन था, शांति थी और मोहब्बत थी. हम तो यह जानते ही नहीं थे कि सरकारों का यह काम भी है कि घरों के दरवाजे तोड़ना है, औरतों के चेहरे पर थप्पड़ मारना है, घसीट कर थानों में ले जाकर बंद करना है और बेगुनाहों को महीनों और सालों जेल में बंद करके रखना है. उनके हाथों से कलम और मुंह से जुबान को खींच लेना है.

आजम खान ने कहा, “हमने तो यह समझा था कि हम विधायक हो गए, सांसद हो गए और मंत्री हो गए तो हमें सड़के बनानी है, इमारतें बनानी है, पुलिया बनानी है, पेंशन करानी है, बेरोजगारों को रोजगार दिलवाना है, जिनके पास घर नहीं है, उन्हें घर दिलवाना है. काश अगर हमें यह मालूम हुआ होता कि सरकारों का यह काम भी है तो मेरे अजीजों मेरे 50 साल के सियासी सफर और 4 बार के सियासी ताकत में मैं वह कर सकता था जो एक नई तारीख में दर्ज होता. लेकिन मैं गली का वह बीमार कुत्ता नहीं था, जिस पर कोई पत्थर उठाने से भी डरता था कि इस बीमार कुत्ते के कीड़े हमारे जिस्म पर ना लग जाएं. क्या कोई शख्स इतना गिर सकता है? क्या कोई सियासत इतनी गंदी और खरीज हो सकती है?”
मैं अपने बच्चे की उम्र साबित नहीं कर सकता

आजम खान ने कहा कि मैं अपने बच्चे की उम्र साबित नहीं कर सकता. उसे पैदा करने वाली उसकी मां उम्र साबित नहीं कर सकती. यह हमारी बदकिस्मती नहीं है तो क्या है? कहा गया कि उसके दो पैन कार्ड हैं, लेकिन नहीं है. और कहा गया कि उसके दो पासपोर्ट भी है, लेकिन नहीं है. एक खारिज हुआ है तो दूसरा बना है. मैं चोर हूं, बकरी का डाकू हूं, भैंस का डाकू हूं, मुर्गो का डाकू हूं, फर्नीचर का डाकू हूं और किताबों का डाकू हूं. या अल्लाह हिंदुस्तान में ऐसे लाखों लोग पैदा कर दे जो मुर्गियों की डकैती करें, भैंस की डकैती करें, किताबों की डकैती करें, मशीन की डकैती करें और यूनिवर्सिटी बना दें.