ग्वालियर में होगी इंदौर माडल पर सफाई, सफाई कर्मचारियों पर रहेगी स्मार्ट वाच से नजर


ग्वालियर. स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के लिए नगर निगम अब इंदौर माडल को पूरी तरह से अपनाने जा रहा है। इसके लिए टिपर वाहनों का रूट प्लान नए सिरे से तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा सफाई कर्मचारियों के लिए बीटवार योजना तैयार की जा रही है। इसमें सफाई कर्मचारियों को डब्ल्यूएचओ से, डब्ल्यूएचओ को जेडओ से और जेडओ को उपायुक्तों से जोड़ा जाएगा। इनकी जीपीएस से आनलाइन मानीटरिंग के भी विकल्प तलाशे जा रहे हैं। इसके अलावा संसाधनों में वृद्घि के लिए दो दिन के अंदर पांच नए सीएनजी टिपर वाहनों की पहली खेप नगर निगम को मिल जाएगी। निगम इस बार फिर से गार्बेज फ्री सिटी में सेवन स्टार रेटिंग और वाटर प्लस के लिए दावेदारी करने जा रहा है।

15 दिसंबर तक यह काम पूरा कर लिया जाएगा
अभी शहर के चार विधानसभा क्षेत्रों के 66 वार्डों में कुल 210 टिपर वाहन हैं। वार्डों के हिसाब से टिपर वाहनों की ड्यूटी तो लगाई गई है, लेकिन इनके रूट उस हिसाब से तय नहीं हैं, जिससे पूरा इलाका कवर हो सके। इसके लिए जरूरी है कि प्रत्येक वार्ड की जियोग्राफिकल पोजिशनिंग सिस्टम (जीआइएस) से मैपिंग की जाए। इससे रूट तय किए जा सकेंगे और वाहनों में लगे जीपीएस से निगरानी भी आसान हो जाएगी। अब इसके लिए नगर निगम ने कवायद शुरू कर दी है। दावा किया जा रहा है कि आगामी 15 दिसंबर तक यह काम पूरा कर लिया जाएगा। इसके अलावा हाल ही में हुए निरीक्षणों के दौरान यह भी सामने आया है कि अधिकतर इलाकों से सफाई कर्मचारी गायब रहते हैं। इन कर्मचारियों के लिए अब बीटवार प्लान तैयार करने के लिए तकनीक का सहारा लिया जाएगा। इंदौर ने बीटवार सिस्टम बनाने के लिए स्मार्ट डिवाइसों का इस्तेमाल किया था, जो एक-दूसरे से जुड़ी रहती थीं। यही विकल्प ग्वालियर में भी लागू करने पर मंथन किया जा रहा है।

1.86 करोड़ से आएंगे 28 नए टिपर
इसके अलावा कार्यशाला ने 1.86 करोड़ रुपये की लागत से 28 नए टिपर खरीदने का टेंडर भी जारी कर दिया है। ये टिपर विशेष रूप से कंपनियों द्वारा तैयार किए जाते हैं। ऐसे में चुनिंदा कंपनियां ही इस प्रक्रिया में शामिल होती हैं। अगले डेढ़ माह में ये प्रक्रिया पूरी कर और वाहन लाए जाएंगे, जिससे संसाधनों में इजाफा हो सके।

स्मार्ट वाच का देखा विकल्प
अभी निगम के स्वच्छ भारत मिशन की जिम्मेदारी संभाल रहे अधिकारियों ने स्मार्ट वाच का एक डेमो देखा है। ये घड़ियां जीपीएस से जुड़ी होती हैं। सफाईकर्मी जब फील्ड में काम करेंगे, तो वे कितना पैदल चले और उन्होंने कितना काम किया, ये घड़ी में मौजूद कैलोरी खर्च करने के आप्शन से पता चल सकेगा। ये माडल इंदौर के अलावा जयपुर और नागपुर में भी अपनाया जा चुका है। इन्हीं कंपनियों से निगम अधिकारी संपर्क कर रहे हैं।

फील्ड में काम करने वाले सफाई कर्मचारियों की मानीटरिंग के लिए बीटवार प्लान तैयार किया जा रहा है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 में चुनौती बड़ी है, जिसके लिए टिपर वाहनों के रूट निर्धारित करने पर भी काम चल रहा है।
अमरसत्य गुप्ता, उपायुक्त एवं नोडल अधिकारी एसबीएम नगर निगम