UP Election 2022: डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य के कारण हॉट सीट बनी सिराथू, जानें क्‍यों बढ़ी सपा-बसपा की टेंशन

प्रयागराज. यूपी विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) को लेकर भाजपाअपने 107 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है. इस सूची में बीजेपी ने सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) को भी चुनाव लड़ाने के लिए सीटों का ऐलान कर दिया है. बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड ने सीएम योगी को उनके गृह क्षेत्र गोरखपुर और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को उनके गृह क्षेत्र कौशांबी से चुनाव लड़ाने का फैसला लिया है. दरअसल, बीजेपी ने काफी मंथन के बाद सीएम और डिप्टी सीएम को उनके गृह जिले से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए भेजा है, ताकि इन सीटों पर उन्हें कोई खास मेहनत न करनी पड़े और आसानी से दोनों सीटें जीती जा सकें.

अगर बात डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की करें तो उनके प्रयागराज की दो विधानसभा सीटों शहर उत्तरी और फाफामऊ के साथ ही कौशांबी की सिराथू सीट से चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही थी. बीजेपी ने उनको सिराथू विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. बता दें कि मौर्य 2012 में पहली बार सिराथू से ही भाजपा के विधायक चुने गए थे और उन्होंने सपा प्रत्याशी वाचस्पति को 26000 वोटों के अंतर से हराया था. वह उस वक्‍त प्रयागराज मंडल से भाजपा के इकलौते विधायक चुने गए थे.

सिराथू से लेकर डिप्‍टी सीएम तक

सिराथू विधानसभा सीट से विधायक चुनाव जीतने के बाद केशव प्रसाद मौर्य ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसके दो साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में उनको प्रयागराज की फूलपुर लोकसभा सीट से बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया था. फूलपुर लोकसभा सीट पर पहली बार डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कमल खिलाया था. यह कभी देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की परम्परागत सीट थी. वहीं, कांग्रेस के बाद इस सीट पर समाजवादी पार्टी और बसपा ने भी चुनाव जीता था, लेकिन भाजपा कभी भी इस सीट पर चुनाव नहीं जीत पाई थी. हालांकि 2017 में हुए यूपी के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला और 325 सीटें मिलने के बाद फूलपुर से सांसद केशव प्रसाद मौर्य को बीजेपी ने इनाम के तौर पर डिप्टी सीएम के पद से नवाजा. उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाया गया. वैसे अभी भी डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य विधान परिषद के सदस्य हैं, लेकिन बीजेपी यूपी विधानसभा चुनाव में सीएम और डिप्टी सीएम को चुनाव लड़ाकर एक मजबूत संदेश देना चाहती है.

जानें कैसा रहा है मौर्य का सफर

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के राजनीतिक सफर की बात करें तो शुरुआती दिनों में वह विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े और विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे स्वर्गीय अशोक सिंघल के करीबी रहे. उन्हीं की सिफारिश पर पहली बार 2002 में भारतीय जनता पार्टी ने उनको प्रयागराज की शहर पश्चिमी विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा था. इस चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य माफिया अतीक अहमद के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें सात हजार मतों से ही संतोष करना पड़ा और चौथे स्थान पर रहे. इसके बाद 2007 में एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरे और इस बार भी जीत नसीब नहीं को सकी.

3,65,153 मतदाता करेंगे किस्‍मत का फैसला

हालांकि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के सिराथू से चुनाव लड़ने से यह हॉट सीट हो गई है. इस सीट पर अभी सपा और बसपा ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है. माना जा रहा है कि मौर्य के कद और जातीय समीकरण के हिसाब से सपा और बसपा को इस सीट से प्रत्याशी उतारने में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी. सिराथू विधानसभा सीट पर अगर जातीय समीकरण की बात करें तो यह भाजपा के लिए बेहद अनुकूल सीट मानी जा रही है. इस सीट पर अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाता सर्वाधिक हैं. जबकि दूसरे नंबर पर पिछड़े वर्ग के मतदाता हैं. इस सीट पर हार-जीत का फैसला अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाताओं के हाथ में रहता है. सिराथू में मौजूदा समय में 3,65,153 मतदाता हैं. इनमें पुरुष (1,95,660) और महिला (1,69,492) हैं.