UP चुनाव में PM मोदी ने लगाया 'MDH' का तड़का, यह है योगी की फिर से वापसी का प्लान

लखनऊ: जैसे-जैसे यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे सरगर्मी बढ़ती जा रही है. सत्तारूढ़ बीजेपी (BJP) पिछले 30 साल के रिकार्ड को तोड़ते हुए सत्ता पर अपना कब्जा बनाए रखने की कवायद में जुटी है. यूपी में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की सरकार की वापसी की कमान नरेन्द्र मोदी से संभाल ली है. प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) के ताबड़तोड़ यूपी दौरे से यह बात साफ है कि वे 2024 की तैयारियों में अभी से जुट गये हैं. इस बार उन्होंने MDH का तड़का लगाया है. यानी महिला, डेवलपमेंट और हिन्दुत्व. बीजेपी की चुनावी तैयारी आधी आबादी, विकास और हिन्दुत्व के इर्द-गिर्द ही घूमती नजर आ रही है. आइये इसे एक-एक करके समझें.

M फॉर महिला
मोदी युग से पहले महिलाओं के वोट की ताकत शायद ही किसी ने समझा होगा. 2014 के चुनाव में महिलाओं का वोट एक बड़ा गेमचेंजर था. कई योजनाओं के जरिये बीजेपी ने महिलाओं को साधने की कोशिशें की और वो सफल भी हुई. मिशन शक्ति हो या फिर उज्जवल्ला गैस कनेक्शन या फिर महिलाओं के नाम पर मिलने वाली कई तरह की छूटें. ट्रिपल तलाक के कानून के जरिये तो मुस्लिम बिरादरी में बीजेपी ने सेंधमारी कर ली. अब शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल किये जाने के कदम को भी इसी रूप में देखा जा रहा है. बीजेपी यूं ही ये सब नहीं कर रही है बल्कि इसके जरिये पार्टी ने हर घर में अपना एक अलग वोटर खड़ा कर लिया है. अब पहले का युग नहीं रहा कि घर का मुखिया जिसे वोट देने को कह देता था उसे ही घर की महिलायें वोट कर दिया करती थीं. महिलायें अब स्वेच्छा से वोट करने लगी हैं. कई चुनावों में देखा गया है कि पुरुषों से ज्यादा महिलाओं का वोट शेयर होता है. ऐसे में पीएम मोदी ने यूपी इलेक्शन के लिए भी एक मजबूत महिला ब्रिगेट अपने पाले में खड़ी कर ली है. ये ट्रेण्ट देखा गया है कि महिलायें जातिगत आधार पर अमूमन वोट नहीं करती. भाजपा के लिए ये सबसे बड़ी जीत है.

D फॉर डेवलपमेंट
महीने-डेढ़ महीने में पीएम नरेन्द्र मोदी ने यूपी के लगभग हर हिस्से में दौरे किये हैं. बुन्देलखण्ड, रूहेलखण्ड और पूर्वांचल में उनके जितने भी कार्यक्रम हुए सब विकास योजनाओं की सौगात वाले ही देखने को मिले हैं. उन्होंने गोरखपुर में एम्स और खाद कारखाने का उद्घाटन किया तो झांसी और बलरामपुर में सिंचाई योजनाओं का. वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरीडोर का उद्घाटन किया तो सुल्तानपुर में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे. शाहजहांपुर में उन्होंने गंगा एक्सप्रेस वे का शिलान्यास किया है. यानी मोदी है तो मुमकिन है के नारे को एक बार फिर बुलंद आवाज मिली है.

H फॉर हिन्दुत्व
बीजेपी अपनी जुबान कहे भले ही ना लेकिन ये मुद्दा उसके दिल में बैठता है. पार्टी के बड़े बड़े नेताओं को इसे आजमाया लेकिन, जैसी सफलता पीएम मोदी को मिली वैसी किसी को नहीं मिली थी. अयोध्या की कानूनी लड़ाई पर नरेन्द्र मोदी सरकार में ही विजयश्री मिली. जिस शहर के बारे में ये मिथक था कि यहां कुछ नहीं हो सकता उस वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरीडोर का निर्माण कराकर पीएम मोदी ने दिखा दिया. अयोध्या और वाराणसी के बाद अब धीरे धीरे मथुरा की बातें भी जुबान पर आती जा रही है. बीजेपी ये संदेश देना चाहती है कि उसकी लड़ाई अयोध्या में राम मंदिर बनने तक की ही नहीं थी बल्कि अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है.

जाहिर है ये तीन ऐसे मुद्दे हैं, जिसके आधार पर पार्टी 2022 में फिर से सरकार बनाने की कवायद में जुटी है. इतिहास गवाह है कि पिछले तीन दशकों में कोई भी सरकार दोबोरा चुन के नहीं आ पाई. बीजेपी इस बार इस सच्चाई को बदलना चाहती है. 2022 की विजय के सहारे उसकी नजर 2024 के लोकसभा चुनाव पर भी तो है.