10 करोड़ की लागत से बनी सड़क भैंसों के तबेले में बदली

ग्वालियर। ग्वालियर के एकमात्र जलीय पर्यटन स्थल तिघरा पर प्रतिदिन हजारों की तादाद में लोग अपनी जान जोखिम में डाल कर पहुुंच रहे हैं। तिघरा जाने वाले इस मार्ग पर ग्रामीण अवैध कब्जा कर सड़क पर खूंटे गाड़कर मवेशियों को बांध रहे हैं और डेयरी संचालन कर रहे हैं, जिस कारण रोड पर एक से दो फीट गहरे गड्ढे होने के कारण कई दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। सड़क पर कई जगह भैंसे बंधी हुई हैं और तिरपाल डालकर उसके अंदर कंडों को एकत्रित कर सड़क को लगभग बंद कर दिया है।

वर्ष 2002 में तिघरा तक जाने वाले 13 किलोमीटर लंबे रास्ते का निर्माण साड़ा ने 10 करोड़ रुपए की लागत से कराया था, लेकिन इसके निर्माण के बाद साडा ने इसकी ओर ध्यान देना बंद कर दिया, जिसके कारण सड़क पर झाडियां उग आईं। साथ ही तिघरा से आने वाली सड़क पर ग्रामीणों ने पूरी तरह से कब्जा कर लिया। ग्रामीणों ने सड़क पर ही अपने पशुओं को बांध रखा है। साथ ही सड़क पर ही झोपडयां भी बना रखी हैं।

ग्रामीणों ने सड़क को अघोषित वाहन स्टैण्ड भी बना रखा है। यहां पर ग्रामीण ट्रैक्टर, चार पहिया वाहन, कंडे आदि रखते हैं। वहीं दूसरी ओर गोल पहाडिया से लेकर तिघरा तक जाने वाली सड़क पर हर तीन से पांच फीट की दूरी पर गहरे गड्ढे हो गए हैं, जिनमें कई बार ट्रक तक पलट चुके हैं। वहीं गड्ढों के कारण सबसे अधिक परेशानी दो पहिया वाहन चालकों को होती है।

तिघरा जाने वाली सड़क पर दो साल में एक दर्जन मौतें सड़क हादसों के कारण हो चुकी हैं। विगत माह तिघरा जाने वाली सड़क पर आमने-सामने हुई दो मोटर साइकिल भिड़ंत में दो युवकों की मौत हो गई थी।

तिघरा से ग्वालियर आने वाली सड़क की सफाई 2016 में दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारा के सेवादारों ने जेसीबी और हाथों से सड़क की सफाई की थी। साथ ही सड़क पर पड़ी मिट्टी के टीलों को भी हटाया, हालांकि इस कार्य को कराने के लिए साडा भी लाखों रुपए का टेण्डर जारी करने की तैयारी कर रहा था।