चंबल की विरासत समेटे है खुद में एक इतिहास : नरेंद्र सिंह तोमर

ग्वालियर। भारत ही नहीं, अपितु हमारे चंबल की संस्कृति काफी समृद्ध है। अंचल में बने मंदिर अपने आप में अनूठी मिसाल हैं। वे अपने आप में एक इतिहास को समेटे हुए हैं, लेकिन हम इन मंदिरों को देखने के बजाय कहीं

केन्द्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि हम लोगों की मानसिकता पर अंग्रेजियत हावी है। विदेश से पढ़कर अगर कोई युवा भारत आता है तो उसे आश्चर्य माना जाता है। जबकि संभवत: सालों पहले एक महिला ने 'देवालय नाम दिया था, जो शायद साक्षर भी नहीं होगी। हमारी विरासत समृद्ध है, मगर हमारी नजरों में उसका महत्व नहीं है। हम इस विरासत को सहेजकर, उसका प्रचार-प्रसार की पर्यटन को बढ़ावा दे सकते ह

कुछ धरोहर पूरी तरह से गुप्त विशिष्ट अतिथि संतकृपाल सिंह महाराज ने कहा कि अंचल की कुछ धरोहर ऐसी है, जो पूरी तरह से गुप्त है। यहां के मंदिरों से हमारी नई पीढ़ी पूरी तरह से परिचित ही नहीं है। ध्यान न देने की वजह से कुछ मंदिर जीर्णशीर्ण अवस्था में पहुंच चुके हैं। वहीं वरिष्ठ पत्रकार डॉ. केशव पांडेय ने कहा कि हम अपनी संस्कृति और विरासत को सहेज कर पर्यटन के क्षेत्र में मिसाल कायम कर सकते हैं। विश्व के कुछ देशों का पर्यटन तो सबसे बड़ा बिजनेस बन चुका है। 'नईदुनिया का प्रयास सराहनीय है, ऐसे प्रयास ही इतिहास बनते हैं।

देवालय संकलन में ग्वालियर, चंबल और बुंदेलखंड की धरोहर के अलावा मंदिरों का विस्तार से उल्लेख किया गया। इस संकलन के कुल 83 पृष्ठ रखे गए हैं। संकलन का प्रकाशन करने से पूर्व विशेषज्ञों से संपर्क कर आवश्यक तथ्य जुटाए गए। साथ ही उनकी यथास्थिति के फोटो खींचे गए।