नीरव मोदी की जालसाजी 2014 में हुई थी उजागर, यूं आंखों में झोंक रहा था 'धूल'

पंजाब नैशनल बैंक के साथ 12000 करोड़ रुपये से ज्यादा के लोन फ्रॉड मामले में जारी राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और सीबीआई की तरफ से की जा रही गिरफ्तारियों के बीच राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) भी ऐक्शन में आ गई है. भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उनकी तीन कंपनियों के खिलाफ अब डीआरआई भी जालसाज़ी, रिकॉर्ड में हेर-फेर और आयातित हीरे-मोतियों की गलत जानकारी देने का केस करेगी. मोदी अगर इन मामलों में दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें सात वर्षों तक सजा हो सकती है.

नीरव मोदी के खिलाफ लगे आरोपों के बारे में न्यूज़18 से बातचीत में एक DRI अधिकारी बताते हैं, 'उनके खिलाफ इम्पोर्टेड और तराशे गए हीरों की गलत जानकारी देने और इम्पोर्ट ड्यूटी की चोरी सहित कई गंभीर आरोप हैं.' डीआरआई इस संबंध में अरबपति कारोबारी की फायरस्टार डायमंड, फायरस्टार इंटरनेशनल और राधाशीर जूलरी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी में है.'
नीरव मोदी ने कैसे की ये जालसाजी?
डीआरआई अधिकारी ने बताया कि नीरव की यह जालसाजी साल 2014 में ही सामने आ गई थी. जब पूछा गया कि नीरव आखिर कैसे ये जालसाजी किया करता था, तो वह बताते हैं, 'हमें अपने खुफिया सूत्रों से जानकारी मिली थी कि नीरव मोदी अपने हीरे जड़े गहनों के दाम काफी बढ़ा कर रखता है. तो हमने इस मामले की जांच की और 5 दिसबंर, 2014 को डायमंड जूलरी के उसके एक्सपोर्ट कंसाइनमेंट पकड़े. तब मुंबई के सहार एयरपोर्ट के कार्गो से ऐसे कुल आठ कंसाइनमेंट पकड़े गए. इनमें से एक अमेरिका भेजा जा रहा था, एक कनाडा, तीन हॉन्ग कॉन्ग और तीन दुबई के लिए जा रहे थे.'
वह बताते हैं, 'जब हमने उनकी जांच की, तो पता चला कि अमेरिका और कनाडा भेजे जा रहे कंसाइमेंट्स के अलावा बाकी सारे कंसाइमेंट्स में हीरे-जवाहरातों की संख्या और उनके दाम में काफी गड़बड़ी की गई थी.'

जब उनके पूछा गया कि नीरव ने किस तरह की गड़बड़ी की थी, तो उन्होंने बताया, 'हीरे जड़े गहनों की उन छह खेप की कीमत 43.10 करोड़ रुपये बताई गई थी, जबकि हमने जब सरकारी विभाग से इसकी जांच कराई तो इसकी कीमत 4.93 करोड़ रुपये ही पाई गई.' उन्होंने बताया कि इस दौरान जब गहराई से जांच की गई तो और भी बड़ा हेरफेर सामने आया. जांच में पता चला कि सूरत से जब्त जिन हीरों की कीमत नीरव में 1,112.3 करोड़ बताई थी, वह महज 74.63 करोड़ रुपये की निकलीं.