कांग्रेस ने राजस्थान में बचा ली सरकार, लेकिन एमपी में टूटने वाला है उसका ये वादा

राजस्थान में पिछले कुछ वक्त से चल रहे सियासी ड्रामे का आखिरकार अंत होता नजर आ रहा है. गहलोत सरकार से बगावत कर अपने साथी विधायकों के साथ हरियाणा में ठहरे सचिन पायलट ने सोमवार को गांधी परिवार से मुलाकात की. यह मुलाकात काफी सार्थक रही, जिसके बाद पायलट गुट के विधायक भंवरलाल शर्मा ने जयपुर में अशोक गहलोत से मुलाकात की. यही नहीं गहलोत से बातचीत के बाद उन्होंने साफ-साफ कहा, "सरकार सुरक्षित है. सरकार को कोई खतरा नहीं है."
इसका लब्बोलुआब यही है कि पायलट के बगावती रुख से गहलोत सरकार पर मंडरा रहे संकट के बादल छंट चुके हैं और अब तेजी से सुलह के फॉर्मूले पर काम किया जा रहा है. राजस्थान में घटा यह सियासी घटनाक्रम मध्य प्रदेश में हुए सत्ता बदलाव की याद भी दिलाता है. राजस्थान में पायलट के बगावत की पटकथा भी लगभग-लगभग वैसी ही थी जैसी कि एमपी में सिंधिया के विद्रोह की थी.
राजस्थान में पिछले कुछ वक्त से चल रहे सियासी ड्रामे का आखिरकार अंत होता नजर आ रहा है. गहलोत सरकार से बगावत कर अपने साथी विधायकों के साथ हरियाणा में ठहरे सचिन पायलट ने सोमवार को गांधी परिवार से मुलाकात की. यह मुलाकात काफी सार्थक रही, जिसके बाद पायलट गुट के विधायक भंवरलाल शर्मा ने जयपुर में अशोक गहलोत से मुलाकात की. यही नहीं गहलोत से बातचीत के बाद उन्होंने साफ-साफ कहा, "सरकार सुरक्षित है. सरकार को कोई खतरा नहीं है."
इसका लब्बोलुआब यही है कि पायलट के बगावती रुख से गहलोत सरकार पर मंडरा रहे संकट के बादल छंट चुके हैं और अब तेजी से सुलह के फॉर्मूले पर काम किया जा रहा है. राजस्थान में घटा यह सियासी घटनाक्रम मध्य प्रदेश में हुए सत्ता बदलाव की याद भी दिलाता है. राजस्थान में पायलट के बगावत की पटकथा भी लगभग-लगभग वैसी ही थी जैसी कि एमपी में सिंधिया के विद्रोह की थी.
टूटने वाला है एमपी कांग्रेस का ये वादा
अब आते हैं कांग्रेस के उस वादे पर जो जल्दी ही टूटने वाला है. याद दिला दें कि मुख्यमंत्री पद से कमलनाथ के इस्तीफे के कुछ घंटों बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया था. मध्य प्रदेश कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए उस ट्वीट में दावा किया गया था कि 15 अगस्त को कमलनाथ मुख्यमंत्री के तौर पर ध्वजारोहण करेंगे और परेड की सलामी लेंगे. इस ट्वीट में सरकार की विदाई को बेहद अल्प विश्राम बताते हुए इसे संभाल कर रखने की सलाह भी दी गई थी. तो दावे के मुताबिक हमने कांग्रेस का यह ट्वीट संभाल कर रखा था. लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है. आज 11 अगस्त है. यानी अब कमलनाथ के पास वापस सत्ता हासिल करने के लिए कुल 4 दिन ही बचे हैं. चार दिन में सत्ता परिवर्तन एक असंभव कार्य है. कांग्रेस के हालात भी ऐसे नहीं है कि वो ऐसा कुछ कर सके. बता दें कि मध्य प्रदेश में 10 मार्च को कांग्रेस के 22 विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी की सदस्यता ले ली और तत्कालीन कमलनाथ सरकार को अल्पमत में लाकर आखिरकार गिरा दिया था. लेकिन कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे का दौर वहीं नहीं रुका.
कांग्रेस के 25 विधायक हो चुके हैं बीजेपी में शामिल
बता दें कि 2 जुलाई को बड़ा मलहरा से कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी ने इस्तीफा दे दिया. इसके पांच दिन बाद नेपानगर से कांग्रेस विधायक सुमित्रा देवी कसडेकर ने भी इस्तीफा दे दिया. इसके अलावा 23 जुलाई को मांधाता विधायक नारायण पटेल ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया. यहां आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव-2018 में कांग्रेस को 114 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन अब उसके खाते में 89 विधायक बचे हैं. क्योंकि उसके 25 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं. गौर करने वाली बात यह है कि ये सभी विधायक बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. ऐसे में अब मध्य प्रदेश कांग्रेस द्वारा कमलनाथ को लेकर किया गया वह वादा पूरा होता किसी ओर से नजर नहीं आता.