कोरोना के डर से हुई मां की मौत, नहीं देख सकी बच्चों की शक्ल

 मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के बांसखेड़ी गांव में रहने वाले एक परिवार में मां की मौत के बाद बच्चों को पालना मुश्किल हो रहा है. एक गर्भवती महिला को डिलिवरी के लिए गांव के पास के अस्पताल ले जाया गया. वहां से अस्पताल ने मंदसौर रेफर कर दिया. मंदसौर में डॉक्टरों ने महिला का कोरोना टेस्ट किया. हालत ठीक नहीं होने पर उसे इंदौर भेज दिया गया.

महिला ने इंदौर में 18 मई को 2 जुड़वां बच्चों को जन्म दिया, जिसमें से एक लड़का और लड़की थी. इंदौर कोरोना प्रभावित जिला है, ऐसे में डॉक्टर ने सलाह दी कि दोनों बच्चों को मां से दूर रखा जाए. बच्चों के जन्म के बाद ही उन्हें मां से अलग कर दिया गया.

बच्चों के पिता उनको लेकर इंदौर से मंदसौर आ गए और उन्हें अपनी मौसी के घर छोड़ आए. मंदसौर में इस बात की जानकारी मिली कि बच्चों की मां की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है. शख्स जब इंदौर पहुंचा तो उसे अरबिंदो अस्पताल में शिफ्ट कर दिया. वहां भी कोरोना टेस्ट हुआ लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आई. कुछ दिन वहां एडमिट रहे. शख्स का नाम गोविंद सिंह है.

पत्नी के डिस्चार्ज होने के बाद उसे घर पहुंचाने की व्यवस्था नहीं थी. जब किसी तरह से गाड़ी की व्यवस्था हुई तो घर पहुंचा. रास्ते में गोविंद सिंह ने गांव के सरपंच को सूचना दी कि वह पत्नी को लेकर गांव पहुंच रहा है. सरपंच ने कहा कि अगर कागजात पूरे हैं, अस्पताल से डिस्चार्ज कार्ड मिला है तो घर लौट आओ.

सरपंच में नहीं होने दी गांव में एंट्री

गोविंद सिंह गांव के चौराहे पर जैसे ही पहुंचे तो उन्हें गांव के सरपंच के साथ पुलिस ने रोक लिया और कहा कि तुम्हें क्वारनटीन सेंटर में ही रहना होगा. गोविंद सिंह की पत्नी संध्या को क्वारनटीन सेंटर भेजा गया. डिलिवरी होने के बाद लगातार मुश्किल झेल रही संध्या को पिपलिया मंडी से मंदसौर के कोविड सेंटर में भेज दिया गया.

तबीयत बिगड़ी तो फिर इंदौर रेफर कर दिया गया. संध्या के पति का कहना है कि उसके मन में कहीं न कहीं कोरोना का डर बैठ गया. संध्या को इंदौर में ही भर्ती रखा गया, जहां उसकी हालत खराब हो गई और मौत हो गई. संध्या का अंतिम संस्कार भी इंदौर में किया गया. अपने बच्चों को आखिरी वक्त भी वह नहीं देख सकी.

बच्चों के पिता हैं क्वारनटीन

संध्या की मौत के बाद पति बांस खेड़ी गांव में होम क्वारनटीन हैं. बच्चे गोविंद सिंह की मौसी के पास सिंधपन गांव में हैं. गोविंद सिंह गरीब परिवार से हैं. पत्नी के इलाज के लिए जमीन भी गिरवी रख चुके हैं, ऐसे में अब आर्थिक तंगी और बढ़ गई है. घर में कोई महिला नहीं है, इसलिए बच्चों को पालने में भी दिक्कत आ रही है. गोविंद सिंह की मौसी भी क्वारनटीन रह चुकी हैं. ऐसे में जब स्वास्थ्यकर्मी उनका चेकअप करने आते तो भी बच्चों से दूर ही रहते.

आर्थिक तंगी से जूझ रहा परिवार

गोविंद सिंह की मौसी भी तलाकशुदा हैं और अपनी बूढ़ी मां के साथ रही हैं. उन्हें भी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. बच्चों में से एक बीमार हुआ तो उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन अस्पताल ने इलाज करने से मना कर दिया. फिर उसने बच्चों को एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया.