इंदौर में देश का सबसे सख्त लॉकडाउन, कुछ ऐसे लड़ी जा रही कोरोनावायरस से जंग

भोपाल. देश में कोरोना वायरस के प्रकोप से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल इंदौर में दो और मरीजों की मौत होने की बुधवार देर रात जानकारी दी गई. इसके साथ ही इस महामारी से जिले में मरने वालों की तादाद बढ़कर 39 हो गयी. अधिकारियों का कहना है कि देश भर में इंदौर बेहद सख्ती से लॉकडाउन के नियमों का पालन कर रहा है. जिसमें सभी क्वारंटाइन किये गए लोगों की जियो टैगिंग, साफ़ सफाई और बड़े पैमाने पर सैनिटाइजेशन के प्रयास भी शामिल हैं.

22 लोगों की इलाज के बाद की रिपोर्ट निगेटिव
मध्य प्रदेश के सबसे बड़े शहर में बुधवार तक मामलों की संख्या 544 थी, जोकि पिछले दिन से 117 अधिक थी. 200 में से इन 117 लोगों के सैम्पल्स को टेस्टिंग के लिए इंदौर से दिल्ली एक विशेष विमान के जरिए भेजा गया. इंडियन एक्सप्रेस में छपी ख़बर के मुताबिक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी  प्रवीण जड़िया ने कहा कि उन्हें, भेजे गए 1,142 नमूनों में से 465 के परिणाम मिले हैं. "इंदौर में पाए गए पॉजीटिव लोगों में 22 लोगों की इलाज के बाद की रिपोर्ट अब निगेटिव आई है.

COVID-19 परीक्षण सुविधा

इंदौर में केवल एक कार्यात्मक COVID-19 परीक्षण सुविधा है जोकि यहां बढ़ रहे मरीजों की संख्या से जूझ रही है. लगातार बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए सैम्पल्स को दिल्ली भेजा जा रहा है. ऐसे में अब भोपाल भी अपने सैम्पल्स दिल्ली भेजने की तैयारी कर रहा है.

कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर 
आंकड़ों की गणना से पता चलता है कि बुधवार रात तक जिले में कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर 6.65 प्रतिशत थी जो राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. जड़िया ने कहा, "जिले में कोविड-19 के जो नये मरीज मिले हैं, उनमें से ज्यादातर लोग इस महामारी के पुराने मरीजों के सगे-संबंधी या परिचित हैं. मरीजों के संपर्क में आये ऐसे सभी लोगों को सावधानी के तौर पर पहले ही अलग किया जा चुका है."

डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग
शुरूआती दौर में तैयारियों की कमी के कारण मध्य प्रदेश महामारी की आग की चपेट में आता नजर आ रहा है. जिसके बाद अब अधिकारियों ने शहर को सर्विलांस से जोड़ा दिया है, मेडिकल मोबाइल यूनिट्स के जरिए डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग शुरू की कर दी गयी है इसके साथ ही आइसोलेशन बेड की संख्या को 600 से बढ़ाकर 800 कर दिया गया है.

13 बहुत आवश्यक किराना वस्तुओं को अधिसूचित किया गया
इंदौर नगर निगम आयुक्त आशीष सिंह का कहना है कि 28 मार्च से शहर पूरी तरह से लॉकडाउन कर दिया गया. दूध, भोजन और किराने का सामान प्रशासन द्वारा घर-घर पहुंचाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि मेडिकल दुकानों के अलावा, कुछ भी खुला नहीं है. इसके अलावा हमने आलू और प्याज सहित 13 बहुत आवश्यक किराना वस्तुओं को अधिसूचित किया है.

सिंह ने कहा कि इंदौर की सुव्यवस्थित स्वच्छता प्रणाली, इसे स्वच्छता रैंकिंग में लगातार नंबर एक बनाने में मदद करती है. हमारे पास 470 अपशिष्ट-संग्रह वाहन  हैं. हमारे पास निर्दिष्ट वस्तुओं की कीमतों के साथ एक निर्धारित प्रारूप है. लोग जो चाहते हैं, उस पर टिक करते हैं. शुरू में प्रत्येक वाहन मार्ग पर, हमारे पास केवल एक किराना विक्रेता था, अब हमारे पास तीन हैं.

20,000 लीटर की क्षमता वाले 22 बड़े टैंकर...
उन्होंने कहा कि 20,000 लीटर की क्षमता वाले 22 बड़े टैंकर, 11 विशेष कृषि यंत्र और दो ड्रोन को निस्संक्रामक स्प्रे करने के लिए तैनात किया गया है. “क्वारंटाइन क्षेत्रों में, विशेष वाहन वेस्ट एकत्र करते हैं. हम इसे बायोमेडिकल वेस्ट के रूप में मानते हैं और इसे नष्ट करने के लिए भेजते हैं.

मरीजों की तादाद 874
मध्य प्रदेश में 15 अप्रैल तक कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आने वाले मरीजों की तादाद 874 पर पहुंच गई. इनमें से अब तक 53 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से इंदौर में 37, उज्जैन में छह, भोपाल में पांच, खरगोन में तीन और छिंदवाड़ा एवं देवास में एक-एक मौत शामिल हैं. अब तक जिले में इस महामारी के 39 मरीजों को इलाज के बाद स्वस्थ पाये जाने पर अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है. कोरोना वायरस के मरीज मिलने के बाद से प्रशासन ने 25 मार्च से इंदौर की शहरी सीमा में कर्फ्यू लगा रखा है.