मोदी सरकार के 3 महीने में ये 6 बड़े ऐलान, हर दरवाजे से मंदी की नो-एंट्री!

देश में मंदी की आहट से मोदी सरकार गंभीर है, और लगातार अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए घोषणाएं की जा रही हैं. अभी भी सरकार का कहना है कि इकोनॉमी में सुधार के लिए अगर आगे भी जरूरत पड़ी तो कदम उठाए जाएंगे. इस बीच शुक्रवार को हुए ऐलान को ऐतिहासिक बताया जा रहा है.

मोदी सरकार की प्रचंड बहुमत के साथ जब सत्ता में वापसी हुई तो उसे अहसास नहीं था कि अगले कुछ महीनों में मंदी से मुकाबला करना है. इसलिए सरकार बनने के कुछ दिनों बाद तक सबकुछ सामान्य तरीके से चल रहा था, लेकिन अचानक अगस्त महीने में सरकार को मंदी की दस्तक ने सोचने के लिए मजबूत कर दिया, और फिर अर्थव्यवस्था में रफ्तार लाने के लिए लगातार बड़े ऐलान हो रहे हैं.

  1. एफपीआई पर बढ़े हुए सरचार्ज वापस
    मंदी से मुकाबले के लिए मोदी सरकार की ओर से पहली घोषणा 23 अगस्त को हुई थी. जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) और घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) पर बजट में बढ़े हुए सरचार्ज को वापस लेने का ऐलान कर दिया. बजट में वित्त मंत्री ने सालाना 2 से 5 करोड़ की आमदनी पर इनकम टैक्स के अलावा सरचार्ज 15 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी और 5 करोड़ से अधिक की आमदनी पर 37 फीसदी कर दिया था.

2. ऑटो सेक्टर को राहत
ऑटो सेक्टर में लगातार घट रही बिक्री को रोकने और कारों की खरीदारी में तेजी लाने के लिए वित्त मंत्री ने कई ऐलान किए. ऑटो सेक्टर को राहत देते हुए मोदी सरकार ने सरकारी विभागों पर से पेट्रोल और डीजल की गाड़ियां खरीदने पर रोक वापस ले ली. साथ ही बीएस-4 वाहनों को लेकर निर्यातकों का बकाया GST रिफंड सुनिश्चित करने का ऐलान किया. सरकार की इन घोषणाओं से विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार में वापसी का रास्ता साफ हो गया. सके अलावा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 31 मार्च, 2020 तक खरीदे जाने वाले बीएस-4 इंजन वाले वाहन के रजिस्ट्रेशन अपने समय तक मान्य रहेंगे, उन्हें लेकर कोई दिक्कत नहीं आएगी. साथ ही जून 2020 तक वाहनों की रजिस्ट्रेशन फीस में 10 से 20 गुना बढ़ोतरी की योजना टाल दी गई.

3. बैंकों का विलय
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 30 अगस्त को 10 पीएएसयू बैंकों के मर्जर से 4 बड़े सरकारी बैंक बनाने की घोषणा की थी. जिसके बाद देश में सरकारी बैंकों की संख्या मौजूदा 27 से घटकर 12 रह जाएगी. इससे पहले बैंकों की सेहत सुधारने के लिए वित्त मंत्री सीतारमण 70 हजार करोड़ रुपये वित्तीय मदद उपलब्ध कराने का ऐलान कर चुकी थीं.

4. हाउसिंग सेक्टर के लिए 10 हजार करोड़
अर्थव्यवस्था को सुस्ती से निकालने के लिए 14 सितंबर को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अटके हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट की मदद के लिए स्पेशल विंडो बनाया जाएगा, जिसमें सरकार 10 हजार करोड़ डालेगी. इतनी ही रकम दूसरे निवेशकों से हासिल की जाएगी. उन्होंने बताया कि 60 फीसदी तक पूरे हुए प्रॉजेक्ट को आगे बढ़ाने में इसस फंड का इस्तेमाल हो सकेगा. हालांकि इसमें शर्त यह होगी वह प्रॉजेक्ट एनपीए (NPA) और NCLT न हो. वित्त मंत्री ने कहा कि इससे 3.5 लाख घरों को फायदा मिलेगा.

5. एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए उपाय
निर्मला सीतारमण ने बताया कि एक्‍सपोर्ट के लिए नई स्‍कीम लॉन्‍च की गई है. 1 जनवरी 2020 से मर्चन्डाइज एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडियन स्कीम यानी एमईआईएस की जगह नई स्‍कीम आरओडीटीईपी (RoDTEP) को लॉन्‍च किया गया है. नई स्‍कीम से सरकार पर 50 हजार करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा. वहीं एक्‍सपोर्ट में ई-रिफंड जल्‍द लागू होगा. एक्‍सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए मार्च में 4 मेगा फेस्टिवल का आयोजन होगा. यह फेस्टिवल 4 अलग-अलग शहरों में आयोजित होगा.

6. कॉरपोरेट टैक्स में छूट की सौगात
इस कड़ी में सरकार की ओर से सबसे बड़ा ऐलान 20 सितंबर को किया गया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मेक इन इंडिया के तहत निवेश करने वाली कंपनियों पर 15 फीसदी का कॉरपोरेट टैक्स लगेगा. इसके लिए उन्होंने बताया कि नई घरेलू कंपनी जिसका गठन 1 अक्टूबर 2019 या उसके बाद हुआ हो और जो नए सिरे से निवेश कर रही हो उस पर 15 फीसदी टैक्स लगेगा. सभी तरह के सरचार्ज और सेस के बाद टैक्स 17.10 फीसदी हो जाएगा. हालांकि इन कंपनियों को 31 मार्च 2023 से पहले उत्पादन शुरू करना होगा, तभी फायदा मिलेगा.

घरेलू कंपनियों पर बिना किसी छूट के इनकम टैक्स 22 फीसदी होगा. जबकि सरचार्ज और सेस जोड़कर प्रभावी दर 25.17 फीसदी हो जाएगी. इससे सरकार 1.45 लाख करोड़ रुपये का राजस्‍व घाटा होगा. इसके साथ ही इक्‍विटी कैपिटल गेंस पर से सरचार्ज हटा लिया है. अब लिस्‍टेड कंपनियों को बायबैक पर टैक्स नहीं देना होगा, जिन्होंने 5 जुलाई 2019 से पहले बायबैक शेयर का ऐलान किया है.