लॉकडाउन ने किया परेशान, बीजेपी शासित राज्यों ने भी पीएम के सामने रखी 'आर्थिक' डिमांड

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच देश भर में लागू लॉकडाउन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की, जो पिछली बार से काफी अलग थी. पिछली बार कुछ ही सीएम को पीएम के सामने बात रखने का मौका मिला था, लेकिन इस बार सभी मुख्यमंत्रियों को अपनी बात रखने का मौका दिया गया. इस दौरान गैर-बीजेपी सरकारों के मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने सुझाव रखने के साथ केंद्र से कई बातों की मांग भी कर डाली.

ममता बनर्जी के तेवर सबसे ज्यादा सख्त थे. केंद्र की मोदी सरकार से राज्य लगातार मांग कर रहे थे कि उन्हें ज्यादा अधिकार दिये जाएं और आर्थिक गतिविधियों को लेकर उन्हें फैसला करने का अधिकार दिया जाए. इसी मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, राजस्थान के अशोक गहलोत, पंजाब के कैप्टन अमरिंदर सिंह, महाराष्ट्र के उद्धव ठाकरे और छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल ने सख्त तेवर दिखाए हैं.

प्रधानमंत्री की बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को तेवर दिखाते हुए ममता ने फाइल अपनी टेबल पर जोर से रखते हुए शुरुआत की. ममता बनर्जी ने कहा कि आपको संघीय ढांचा बनाए रखना होगा. केंद्र फैसले लेकर राज्यों को महज सूचित नहीं कर सकता है.

केंद्र और राज्यों को टीम के तौर पर मिलकर कोरोना की चुनौती से निपटना होगा. ममता बनर्जी ने कहा कि चिट्ठियां लीक करना संघीय भावना के खिलाफ है. हमें राजनीति से ऊपर उठना होगा.

ममता बनर्जी ने पीएम मोदी से अपने राज्य का जीएसटी का हिस्सा मांगा. ममता ने कहा कि बंगाल का कुल 61 हजार करोड़ रुपए बकाया है. केंद्र की टीम को बंगाल में भेजने पर भी ममता बनर्जी ने ऐतराज जताया और कहा कि उन्हें केवल राज्य सरकार को परेशान करने के लिए भेजा गया था.

पीएम की बैठक में कांग्रेस शासित राज्यों के सीएम ने पीएम से राज्य को फैसला लेने का अधिकार देने की मांग रखने के साथ-साथ आर्थिक पैकेज की डिमांड रखी. छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य के अंदर आर्थिक गतिविधियों के संचालन के निर्णय का अधिकार राज्य सरकार को मिलना चाहिए. कोरोना संक्रमण को लेकर रेड जोन, ग्रीन जोन और ऑरेंज जोन के निर्धारण का दायित्व राज्य सरकारों को दिया जाना चाहिए. रेगुलर ट्रेन और हवाई सेवा, अंतर राज्यीय बस परिवहन की शुरुआत राज्य सरकारों से विचार विमर्श कर की जानी चाहिए. मनरेगा में 200 दिन की मजदूरी दी जाए.

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि इसमें राज्यों के आर्थिक और राजकोषीय सशक्तिकरण की मदद से जिंदगी और जीविका को बचाने की तैयारी भी होनी चाहिए. उन्होंने तीन महीने के लिए वित्तीय मदद मांगी. कैप्टन अमरिंदर ने केंद्र सरकार से लॉकडाउन के दौरान लोगों के जीवनयापन और जिंदगियों को सुरक्षित करने के लिए एग्जिट नीति बनाने की भी मांग की.

वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी पीएम के सामने कई मांग रखी. गहलोत ने कहा कि जीवन के साथ आजीविका बचाना जरूरी है. केंद्र सरकार शहरी गरीबों के लिए रोजगार गारंटी योजना लाए. मनरेगा के तहत गांव में 200 दिन का रोजगार मिले. गहलोत ने कहा कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की लड़ाई मिलकर लड़नी होगी. इसके अलावा उन्होंने कहा कि जोन तय करने का अधिकार राज्यों को मिले. महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा है कि लॉकडाउन आगे बढ़ाने की मांग के साथ-साथ आर्थिक पैकेज की भी डिमांड रखी. उन्होंने राज्य के हिस्से का जीएसटी भी मांगा.

बीजेपी राज्यों के सीएम ने भी आर्थिक मामलों को लेकर रखी बात

कांग्रेस शासित राज्यों के सीएम के साथ बीजेपी के मुख्यमंत्रियों ने भी केंद्र से कहा कि राज्यों को आर्थिक मामलों पर फैसले लेने दिया जाए. हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने पीएम नरेंद्र मोदी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान आग्रह किया कि राज्यों को आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने के फैसले लेने के लिए अधिकृत करें. हरियाणा में गेहूं की अच्छी फसल हुई है, इसकी बदौलत राज्य देश की जीडीपी में बड़ा योगदान करेगा.

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने कहा कि लॉकडाउन को कंटेनमेंट जोन तक ही सीमित रखा जाना चाहिए. सुरक्षात्मक उपायों के साथ आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने के साथ ही गर्मी की छुट्टी के बाद स्कूल- कॉलेजों को खोलने और सार्वजनिक परिवहन को धीरे से शुरू करने की बात रखी. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि रेड जोन और कंटेनमेंट एरिया को छोड़कर बाकी जगह आर्थिक गतिविधियां शुरू होनी चाहिए .

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के कंटेनमेंट जोन को छोड़कर सभी हिस्सों में आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने की अनुमति दी जानी चाहिए. केजरीवाल ने कहा कि जिलेवार रेड जोन में छूट दी जाए और सिर्फ कंटेनमेंट जोन को रेड जोन में लाया जाए और बाकी दिल्‍ली को ग्रीन जोन घोषित किया जाए. दिल्‍ली को पिछले 20 वर्षों से वित्‍तीय आयोग ने फंड जारी नहीं किया है, जिसे जारी करने का अनुरोध किया.