RBI ने खोला खजाना, इन 5 क्षेत्रों में मोदी सरकार के काम आएंगे 1.76 लाख करोड़

अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा किए गए कई महत्वपूर्ण ऐलान के कुछ ही दिन बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सरकार के लिए खजाना खोल दिया है. रिजर्व बैंक ने अपने खजाने से सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये की भारी रकम देने का निर्णय लिया है. इसमें रिजर्व बैंक के सरप्लस फंड से मिलने वाले 1.23 लाख करोड़ रुपये शामिल होंगे. आर्थिक मुश्किलों का सामना कर रही सरकार के लिए यह बड़ा उपहार है. आइए जानते हैं कि सरकार इस बड़ी रकम को कहां खर्च कर सकती है.मोदी सरकार ने अगले पांच साल में बुनियादी ढांचे पर 100 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है. इतनी बड़ी रकम खर्च करने करने के लिए पूंजी जुटाना एक बड़ी चुनौती है. रिजर्व बैंक से मिले खजाने का एक बड़ा हिस्सा सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर यानी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कर सकती है. अभी बैंक भी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को कर्ज देने से हिचक रहे हैं. सरकार से बड़ी पूंजी मिलने के बाद उनके लिए भी ऐसी परियोजनाओं को कर्ज देना आसान हो जाएगा. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक नकदी की तंगी से गुजर रहे हैं और उनके पास पर्याप्त पूंजी नहीं है. करीब आधा दर्जन कमजोर बैंक रिजर्व बैंक के त्वरित सुधार कार्रवाई (PCA) ढांचे के तहत लाए गए हैं. वित्त मंत्री ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि सार्वजनिक बैंकों को 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी दी जाएगी, हालांकि बैंकों को इससे भी ज्यादा पूंजी की जरूरत है. तो रिजर्व बैंक से मिले खजाने का इस्तेमाल सरकार बैंकों को और पूंजी देने के लिए कर सकती है और इससे अगले पांच साल में बैंकों पर दबाव कम होगा.सरकार किसानों, गरीबों और छोटे उद्यमियों के कल्याण के लिए ऐसी कई योजनाएं चलाती है, जिसका बोझ आखिरकार बैंकों पर पड़ता है. बैंकों को सरकारी एजेंसियों से फिर कोई वित्तपोषण भी नहीं मिल पाता. उदाहरण के लिए बैंकों ने करीब 8 लाख करोड़ रुपये का मुद्रा लोन बांटा है, लेकिन उन्हें इसके बदले वित्तपोषण नहीं मिल पा रहा. रिजर्व बैंक से मिले खजाने का इस्तेमाल सरकार नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी), सिडबी और नाबार्ड जैसी एजेंसियों की पूंजी बढ़ाने में कर सकती है.सरकार करीब 80 हजार करोड़ रुपये की भारी राशि सॉवरेन बॉन्ड के द्वारा विदेशी कर्ज से जुटाना चाहती है. इसके पीछे सोच यह है कि विदेश में सस्ती ब्याज दर पर मिल रहे कर्जों का फायदा उठाया जाए. लेकिन इस तरह के बॉन्ड जारी करने में मुद्रा यानी रुपये पर जोखिम बढ़ जाता है. अंतरराष्ट्रीय हालात ठीक न होने से रुपया पहले से ही कमजोर है, ऐसे में सॉवरेन बॉन्ड जारी करने से इस पर जोखिम और बढ़ जाएगा. इसलिए रिजर्व बैंक से मिले खजाने की मदद से सरकार को ऐसे बॉन्ड जारी करने की जरूरत कम रह जाएगी.पिछले कई साल से सरकार का उधारी या कर्ज लेने का सिलसिला बढ़ता जा रहा है. वित्त वर्ष 2019-20 में सरकार की योजना करीब 7 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेने की है. तो रिजर्व बैंक से मिले उपहार का इस्तेमाल सरकार अपनी उधारी कम करने में कर सकती है. इससे सरकार निजी क्षेत्र के लिए ज्यादा फंड मुहैया कर सकेगी.