भारत में खाना यानी मौत का निवाला...हर साल 15 लाख लोगों की जाती है जान

भारत में हर साल करीब 15.73 लाख लोग खराब खाने (फूड पॉयजनिंग) से मारे जाते हैं. खराब खाने से मौत के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 2008 से 2017 के बीच फूड पॉयजनिंग एक नए प्रकोप की तरह फैला है. यह अब भी फैल रहा है. 2008 से 2017 के बीच फूड पॉयजनिंग के 2867 मामले आए जो डायरिया के 4361 मामलों से अलग हैं.
सुरेश कुमार गुरुग्राम की एक आईटी कंपनी में काम करते हैं. उनकी पत्नी सीमा एक बुटीक चलाती हैं. शाम को दोनों घर पहुंचे तो थके हुए थे. दोनों ने कहीं से चावल, पनीर और चिकन ऑर्डर किया. अगली सुबह दोनों अपने-अपने काम पर जाने के बजाय डॉक्टर के पास पहुंचे. क्योंकि उन्हें फूड पॉयजनिंग की शिकायत थी. पूरे देश में हर साल हजारों लोग फूड पॉयजनिंग के शिकार होते हैं या मर जाते हैं. ऐसा आपके साथ भी हो सकता है.

कहावत है कि अगर वह सुरक्षित नहीं, तो वह खाना नहीं... क्योंकि, लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल करीब 15.73 लाख लोग खराब खाने (फूड पॉयजनिंग) से मारे जाते हैं. खराब खाने से मौत के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है. 31.28 लाख मौतों के साथ चीन पहले नंबर पर है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के इंटीग्रेटेड डीजीज सर्विलांस प्रोग्राम (आईडीएसपी) के अनुसार 2008 से 2017 के बीच फूड पॉयजनिंग एक नए प्रकोप की तरह फैला है. यह अब भी फैल रहा है. 2008 से 2017 के बीच फूड पॉयजनिंग के 2867 मामले आए जो डायरिया के 4361 मामलों से अलग हैं.

आईडीएसपी ने इस साल 6 से 12 मई के बीच फूड पॉयजनिंग के 14 मामले दर्ज किए. पिछले साल आई विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार खाने से होने वाली बीमारियों की वजह के हर साल भारत पर 1,78,100 करोड़ रुपए का बोझ पड़ता है. ये देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 0.5 प्रतिशत है. 2008 से 2017 तक फूड पॉयजनिंग के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. इन सभी को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 बनाई गई, ताकि पूरे देश में खाने की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जा सके.