रजिस्ट्रार कार्यालय में बदल जाती है रजिस्ट्री और किसी को भनक तक नहीं लगती, उपं पंजीयक पर है काम का बोझ

ग्वालियर. जमीन की खरीद-फरोख्त करने वाले सजग रहें। रजिस्ट्रार ऑफिस में कथित रूप से मूल रजिस्ट्री ही बदल देने का मामला उजागर हुआ है। यानी कि रजिस्ट्री पर लिखा नम्बर तो नहीं बदला, लेकिन खरीदार और बेचने वाले का नाम ही बदल दिया है।
चौंकाने वाली बात यह है कि इस मामले में स्वयं वरिष्ठ उप-पंजीयक ने संदेहास्पद माना और काम की अधिकता के चलते रिकॉर्ड का मिलान नहीं करने की दुहाई दिी। यह भी माना है कि कार्यालय द्वारा दस्तावेज की सत्यप्रतिलिपि जारी हो गयी। जो कि फिलहाल संदेह के घेरे में है। इसकी जानकारी वरिष्ठ उप पंजीयक ने एसडीएम लश्कर के साथ ही पुलिस को भी दी है। ताकि विधि अनुसार कार्यवाही हो सके। आपको बता दें कि भगतभीकम सिंह के नाम दुरूस्ती के आवेदन की सुनवाई अभी भी चल रही है।
जिस रजिस्ट्री का नम्बर लिखा उसकी तलाश जारी
सूत्रों की माने तो जिस रजिस्ट्री का नम्बर कथित रूप से फर्जी पर लिखा गया है उस क्रेता‘-विक्रेता की पहचान हो गयी है। वह डीडी नगर का निवासी बताया गया है।
सुजाता ने जानकारी जुटाई तो हुए चौंकाने वाले खुलासे
पहला: जिस तारीख को रजिस्ट्री होना बताया गया, रजिस्ट्रार के रिकॉर्ड में उस दिन भगत भीकम और राघवेंद्र का नाम दर्ज नहीं है।
दूसरा: जिस स्टाम्प वेंडर से स्टाम्प लेना बताया, उसके रिकॉर्ड में भी रजिस्ट्री वाले दिन व उससे दो दिन पहले भगत का नाम नहीं है।
तीसरा: 2011 में रजिस्ट्री होना बताया, जबकि 2018 तक सोनचिरैया अभयारण्य, घाटीगांव में था।
चौथा: राजस्व रिकॉर्ड में उक्त जमीन बैंक में बंधक है।
रिकॉर्ड में मां-दो बेटियों का नाम, भगत ने महिला के पति से जमीन खरीदने का दावा कर खुद को बताया भूमिस्वामी…
ऐसे समझें पूरा मामला
गिरवाई के पटवारी हल्का 38 में सर्वे नंबरों पर स्थित 5.143 हेक्टेयर भूमि राघवेंद्र सिंह के नाम दर्ज थी।
16 नवंबर 2015 को उनकी मौत हो गई। इसके बाद उनकी पत्नी सुजाता और बेटी सुनैना-सुचेतना का फौती नामांतरण हुआ।
2024 में भगत भीकम सिंह ने एसडीएम के समक्ष नाम दुरुस्ती का आवेदन दिया। दावा किया कि राघवेंद्र ने 11 फरवरी 2011 को उक्त जमीन 1.49 करोड़ में उसे बेची थी।
एसडीएम ने आवेदन खारिज कर अपील करने के लिए कहा। अब अपील में सुनवाई चल रही है।
अपील में भगत भीकम सिंह की ओर से रजिस्ट्री पेश की गई, जिसमें राघवेंद्र सिंह द्वारा कथित रूप से जमीन बेचना बताया गया।