UPI Rule Change-हर पेमेंट के बाद मिलेगा बैलेंस अपडेट, पिक ऑवर्स में नहीं होगा ऑटो पे

नई दिल्‍ली. आप भी अगर गूगल पे, फोनपे और पेटीएम जैसे ऐप यूज करते हैं, तो यह खबर आपके काम की है. यूपीआई से पेमेंट करने वालों के लिए 1 अगस्त 2025 से बड़ा बदलाव होने जा रहा है. ये बदलाव सीधे आम लोगों, दुकानदारों, फ्रीलांसर्स और डिजिटल लेन-देन पर निर्भर व्यापारियों को प्रभावित करेंगे. भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने UPI लेन-देन को अधिक सुरक्षित, तेज और सर्वर फ्रेंडली बनाने के लिए कुछ नियमों में परिवर्तन किया है और नए नियम एक अगस्‍त, 2025 से लागू होंगे.
NPCI ने यह फैसला पिछले कुछ महीनों में बढ़े सर्वर लोड और फेल हो रहे ट्रांजैक्शनों को देखते हुए लिया है. बीते महीनों में यूपीआई सर्वर पर तेजी से बढ़ते ट्रैफिक के चलते ट्रांजैक्शन फेल और स्लो होने की घटनाएं बढ़ी हैं. इन नए नियमों का उद्देश्य सर्वर पर दबाव कम करना है, जिससे UPI नेटवर्क तेज और निर्बाध तरीके से काम करे.
बैलेंस चेक करने की लिमिट तय
एक अगस्‍त के से UPI यूजर्स एक दिन में सिर्फ 50 बार ही किसी एक ऐप से बैलेंस चेक कर पाएंगे. अगर आप दो अलग-अलग ऐप का इस्तेमाल करते हैं तो हर ऐप पर यह लिमिट अलग-अलग लागू होगी. व्यस्त समय (सुबह 10 से दोपहर 1 बजे और शाम 5 से रात 9:30 बजे तक) में बैलेंस चेक पर रोक या सीमित एक्सेस होगी ताकि सर्वर लोड कम हो.

हर पेमेंट के बाद मिलेगा बैलेंस अपडेट
अब हर सफल पेमेंट के बाद बैंक खुद SMS या इन-ऐप नोटिफिकेशन के ज़रिए बतायेगा कि आपके खाते में कितना बैलेंस बचा है. इससे दुकानदारों, फ्रीलांसरों, छोटे व्यापारियों को बार-बार बैलेंस चेक करने की जरूरत नहीं होगी.


ऑटोपे अब सिर्फ नॉन-पीक आवर्स में
Netflix, Amazon Prime, EMI या SIP जैसे ऑटो पेमेंट अब केवल नॉन-पीक टाइम में ही प्रोसेस होंगे. ऑटो पे सुबह 10 बजे से पहले, दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे के बीच और रात 9:30 बजे के बाद होगा. पीक आवर्स में कोई भी ऑटोपे ट्रांजैक्शन नहीं होगा.
फेल या पेंडिंग ट्रांजैक्शन का स्‍टेटस चेक
अब अगर कोई ट्रांजैक्शन फेल हो जाए या पेंडिंग हो, तो उसकी स्थिति कम से कम 90 सेकंड बाद ही चेक की जा सकेगी. दिन में केवल 3 बार ही ट्रांजैक्शन स्टेटस चेक किया जा सकेगा. हर बार कम से कम 45-60 सेकंड का अंतर होना जरूरी होगा.
बैंकों को कराना होगा यूपीआई सिस्‍टम का ऑडिट
अब हर बैंक को अपने UPI सिस्टम का साल में एक बार ऑडिट कराना होगा. पहली रिपोर्ट 31 अगस्त 2025 तक जमा करनी होगी. 30 दिन में सिर्फ 10 बार ही पेमेंट रिवर्सल (चार्जबैक) की मांग की जा सकेगी. पैसे ट्रांसफर करना, QR स्कैन से पेमेंट या मर्चेंट ट्रांजैक्शन जैसे मूलभूत UPI फीचर इन बदलावों से प्रभावित नहीं होंगे