युवती के कार से उतरते ही टीआई पिता के हत्यारे बेटे की गोली मारकर की हत्या

ग्वालियर. शिवपुरी से ग्वालियर की ओर आ रहे सुभाषपुरा इलाके में जेल से पैराल पर छूटे अजय तोमर उर्फ लीलाधर की सरे राह हत्या कर दी गयी। कार से आये हत्यारों ने युवक को 4 गोली मारी। घटना से पूर्व युवक के साथ कार में मौजूद युवती कार को रूकवाकर टायलेट के बहारने उतर गयी थी। कार पर गोलीबारी होने पर ड्राइवर कार को लेकर ग्वालियर की तरफ भागा। जो देर रात जयारोग्य चिकित्सालय के ट्रॉमा सेंटर पर गंभीर हालत युवक भर्ती कराने पहुंचा। यहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।
मृतक युवक ने 2016 में डीडी नगर में अपने टीआई पिता हनुमान सिंह तोमर की गोली मारकर हत्या कर दी थी। पिता की हत्या के मामले में अजय के भाई व मां की गवाही पर उसे आजीवन कारावास की सजा हुई थी। छोटे भाई को अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। हत्या के मामले में किसी रिश्तेदार का षडयंत्र होने का शक पुलिस ने जताया है। मृतक का मेलजोल रेत व जमीन का काम करने वालों से भी, इस एंगल पर भी पुलिस जांच कर रही है। जिसमें युवती का इस्तेमाल किया गया। युवती के पर्स जो मोबाइल मिला है। उसकी सिम 2 दिन पहले ही खरीदी थी।
क्या है मामला
फरियादी भगतसिंह पुत्र भगवानलाल जाटव ने ग्वालियर में रिपोर्ट दर्ज कराई। उसने बताया कि वह कार क्रमांक एमपी07 जेडजे1233 किराए पर चलाता है। अजय तोमर 15-16 जुलाई को सेंट्रल जेल से पैरोल पर आया था। चार शहर के नाके के पास एक तोमर होटल में किराए का कमरा लेकर रहता था। उसने मेरी कार को 15 दिन के लिए 15 हजार रु. में किराए पर लिया था। 23 जुलाई की शाम 4:45 बजे कार से अजय मुझे लेकर शिवपुरी गया। शिवपुरी बस स्टैंड पर एक लड़की का करीब 1 घंटे इंतजार किया। इसके बाद कठमई तिराहे से लड़की को कार में बिठाकर ग्वालियर को निकले थे। रास्ते में सतनवाड़ा के आगे निकलने पर 10:30 बजे उसी लड़की ने नयागांव तिराहा से 100 मीटर आगे शिवपुरी से ग्वालियर की ओर जाने वाली एबी रोड पर गाड़ी रुकवाई। उसने टॉयलेट की बात की थी। अजय गाड़ी की बीच वाली सीट पर बैठा था। तभी एक अज्ञात कार मेरी गाड़ी के पास दाहिनी तरफ आकर रुकी। कार में बैठे अज्ञात लोगों ने गाड़ी के दाहिनी तरफ से किसी हथियार से अजय में गोली मार दीं। अजय के एक गोली गले में, दो गोली सीने और एक गोली दाहिने हाथ में लगी। मैं लड़की को वहीं छोड़कर गाड़ी भगाकर अजय को लेकर जेएएच ग्वालियर लाया। यहां डॉक्टरों ने चेकअप के बाद अजय की मृत घोषित कर दिया।
अजय किसी पर नहीं करता था भरोसा
बताया गया है कि अजय लगातार 7 साल जेल में था। इस बार दूसरी बार पैरोल पर बाहर आया था। 5 दिन बाद उसकी पैरोल अवधि पूरी हो रही थी। अजय किसी पर भरोसा नहीं करता था। वह अपने आने-जाने के संबंध में किसी को कुछ भी नहीं बताता था। उसने मोबाइल भी अभी कुछ दिन पहले ही लिया था।