कचरे के पहाड़ नहीं होते तो टॉप 10 में आता ग्वालियर

ग्वालियर. स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 में देश की 10 लाख की आबादी वाले शहरों की रैंकिंग में ग्वालियर को 14वां स्थान मिला है। यह रैंकिंग 2023 में मिली 16वीं रैंकिंग से दो पायदान अधिक है और 2020 में मिली 13वीं रैंकिंग की तुलना में दूसरी सबसे बेस्ट रैंकिंग है। यह भले ही शहर के विकास के लिए बड़ा अचीवमेंट है, लेकिन लैंडफिल साइट पर जमा साढ़े 11 लाख टन कचरे के ढेर (लीगेसी वेस्ट) का सही ढंग से निष्पादन नहीं होना, सोर्स सेग्रीगेशन (घरों से गीला-सूखा कचरा अलग-अलग लेने) और पब्लिक टायलेट (सार्वजनिक शौचालयों) के सफाई नहीं होने पर 1505 अंक काटे गए है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 में 12500 अंकों की परीक्षा में शहर को 10955 अंक मिले हैं। यदि जिम्मेदार अफसर द्वारा लीगेसी वेस्ट,गीला-सूखा कचरा व सेग्रीगेशन पर ध्यान दिया जाता तो ग्वालियर को टॉप टेन जगह मिल सकती थी।
बीते कई सालों से लैंडफिल साइट पर पहाड़ जैसे कचरे के ढेर के चलते लगातार स्वच्छ सर्वेक्षण में ग्वालियर की रैंकिंग गिर रही है। हालांकि अभी भी शहर की जर्जर सडक़ें, गंदगी, कचरे के ढेर व पानी व सीवर की लाइन फूटने सहित तमाम बड़ी चुनौतियां से निपटना बड़ी चुनौती है। जबकि हर साल साफ शहर में साफ-सफाई के नाम पर 80 करोड़ से अधिक खर्च होता है।
सफाई पर 80 करोड़ खर्च
सफाई व्यवस्था से जुड़े अधिकारी-कर्मचारियों के वाहन व चालकों के वेतन पर 42 करोड़, सफाई कार्य में लगे वाहनों की मरम्मत पर 3 करोड़, डीजल पर 15 करोड़, ठेले-डस्टबिन पर एक करोड़,डॉक्यूमेंटेशन दो करोड़,पेटिंग व होर्डिंग पर 3 करोड़, लीगेसी वेस्ट पर 23 करोड़, रोड स्वीपिंग मशीनों पर 8 करोड़ सहित कुल 80 करोड़ खर्च किए जाते हैं।
यह सिर्फ पुरस्कार नहीं, बल्कि 17 लाख शहरवासियों के सामूहिक विश्वास, जागरूकता और समर्पण का प्रतीक है। आगे अब शहर की स्वच्छता को और बेहतर करेंगे और जो कमियां है उन्हें दूर करते हुए स्वच्छता के सर्वोच्च पायदान पर पहुंचेंगे।
 शोभा सिकरवार, महापौर नगर निगम