राजस्थानः गहलोत सरकार ने सरकारी योजना से हटाया दीनदयान उपाध्याय का नाम

राजस्थान की सत्ता में कांग्रेस सरकार के आने के बाद से सरकारी योजनाओं के नाम बदले जाने का सिलसिला लगातार जारी है. खासकर उन योजनाओं के नाम बदले जा रहा हैं जिनके नाम जनसंघ के संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर हैं. गहलोत सरकर ने दीनदयाल उपाध्याय वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना के आगे से पंडित दीनदयाल उपाध्याय का नाम हटा दिया है. इस तरह से इस योजना का नाम एक बार फिर से मुख्यमंत्री वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना कर दिया गया है.

कांग्रेस का तर्क है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में इस योजना की शुरुआत की थी. उस समय इस योजना का नाम 'मुख्यमंत्री वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना' था, लेकिन 2013 में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने सत्ता में आने के बाद इस योजना के नाम के आगे पंडित दीनदयाल उपाध्याय का नाम लगा दिया था. ऐसे में ये योजना कांग्रेस सरकार की थी, जिसे उसके मूल नाम में से शुरू किया जा रहा है.

दिलचस्प बात ये है कि इससे पहले गहलोत सरकार ने जमीनों के पट्टों के ऊपर से दीनदयाल उपाध्याय का लोगो हटाया गया था. इसके अलावा कैबिनेट की पहली बैठक में गहलोत सरकार ने फैसला किया था कि किसी भी सरकारी लेटर पैड पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय का लोगो नहीं छापा जाएगा.

वहीं, बीजेपी सरकार ने अपने कार्यकाल में दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी मनाने के का आदेश जारी किया था. इसी मद्देनजर सूबे में सभी तरह के सरकारी पत्र व्यवहार में अशोक स्तंभ के साथ साथ पंडित दीनदयाल का लोगो लगाने का आदेश जारी किया था.

कांग्रेस सरकार के समाज कल्याण मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल का कहना है कि कांग्रेस सरकार जानबूझकर किसी भी सरकार की योजना का नाम का परिवर्तन नहीं करती है लेकिन अगर बीजेपी सरकार ने दुर्भावना कोई काम किया है तो कांग्रेस सरकार उसे ठीक कर रही है.