1715 तक जगदीशपुर ही था इस्‍लाम नगर, औरंगजेब के भगोड़े सैनिक ने धोखे से की राजा की हत्‍या, फिर बदल दिया नाम

मध्‍य प्रदेश की मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरकार ने भोपाल के गांव इस्‍लाम नगर का नाम बदलकर जगदीशपुर कर दिया है. केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद बुधवार को राज्‍य सरकार ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है. इतिहास में 308 साल पहले इस गांव को जगदीशपुर के नाम से ही जाना जाता था. तब ये भोपाल रियासत का ही हिस्‍सा था. इस्‍लामनगर के लोग काफी समय से इसका नाम बदलकर पुराना नाम जगदीशपुर करने की मांग कर रहे थे. सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने 2022 में इसका नाम बदलने की दिशा में काम शुरू किया था. आइए जानते हैं कि क्‍या है जगदीशपुर का इतिहास? इसका नाम इस्‍लाम नगर कब और कैसे पड़ा?

भोपाल के इतिहास को देखें तो पता चलता है कि जगदीशपुर भोपाल रियासत का हिस्‍सा था. इस गांव को राजपूतों ने बसाया था. साल 1715 से पहले जगदीशपुर के शासक राजा देवरा चौहान थे. उनकी प्रजा उनका बहुत सम्‍मान करती थी. उनका पूरी भोपाल रियासत में काफी रसूख था. लोग उनके शौर्य और कीर्ति का गुधगान करते थे. जगदीशपुर का किला अपनी वास्‍तुकला के लिए भी पहचाना जाता है. इतिहास में इसकी काफी शानो-शैकत रही है. जगदीशपुर को लेकर इसके आगे की कहानी इतिहास के पन्‍नों में धोखे, साजिश और क्रूरता से भरी हुई है.

दोस्‍त मोहम्‍मद खान ने रात्रिभोज का भेजा न्‍योता
जगदीशपुर के इस्‍लाम नगर बनने की कहानी में मुगल शासक औरंगजेब के भगोड़े सैनिक दोस्‍त अहमद खान का अहम किरदार है. दरअसल, औरंगजेब की मौत के बाद उनकी सेना का एक सैनिक दोस्‍त अहमद खान भागकर उत्‍तर प्रदेश, मालवा और मंगलगढ़ होते हुए जगदीशपुर पहुंच गया. पहले उसने जगदीशपुर पर हमला किया, जिसमें उसे करारी शिकस्‍त मिली. इसके बाद जब उसे राजा देवरा चौहान की दरियादिली और शानो-शौकत की कहानियां सुनने को मिलीं तो उसने उन्‍हें नदी किनारे रात्रिभोज का आमंत्रण दिया. राजा देवरा चौहान न्‍योता मिलने पर बेस नदी के किनारे पहुंच गए. इस दौरान उनके साथ कई राजपूत सरदार भी थे.
धोखे से हमला और राजा देवरा चौहान की हत्‍या
राजा देवरा चोहान और बाकी राजपूत मेहमान जब रात्रिभोज कर रहे थे, तभी शामियाने की रस्सियां काट दी गईं. इससे पहले कि राजा देवरा चौहान और बाकी राजपूत कुछ समझ पाते उन पर हमला कर दिया गया. दोस्‍त मोहम्‍मद खान ने राजा देवरा समेत सभी चौहान मेहमानों को मार दिया. कहा जाता है कि उसने इतना कत्‍लेआम किया कि बेस नदी का पानी लाल हो गया था. इसके बाद उसने जगदीशपुर पर कब्‍जा कर लिया. इसके बाद इसका नाम बदलकर इस्‍लाम नगर कर दिया. करीब 8 साल बाद दोस्‍त मोहम्‍मद खान ने भोपाल और इस्‍लामनगर की घेराबंदी करके किला निजाम उल मुल्‍क को सौंप दिया. बाद में इस्‍लाम नगर 1806 से लेकर 1817 तक सिंधिया राजपरिवार के पास भी रहा.