सम्‍मान के साथ इच्‍छा मृत्‍यु को सुप्रीम कोर्ट से इजाजत

इच्‍छा मृत्‍यु को लेकर पिछले काफी समय से चल रहे मामले पर शुक्रवार को सप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. पांच न्‍यायाधीशों की बेंच ने कुछ शर्तों के साथ इच्‍छा मृत्‍यु का इजाजत दे दी है. कोर्ट की ओर से यह भी कहा गया कि इस दौरान इच्छा मृत्यु मांगने वाले के सम्‍मान का ख्‍याल रखना भी बेहद जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वसीयत का पालन कौन करेगा और इस प्रकार की इच्छा मृत्यु के लिए मेडिकल बोर्ड किस प्रकार हामी भरेगा, इस संबंध में वह पहले ही दिशा-निर्देश जारी कर चुका है.

कोर्ट ने कहा कि लाइलाज बीमारी से पीड़ित व्यक्ति ने अगर लिखित वसीयत में कहा है कि उसे उपकरणों के सहारे ज़िंदा नहीं रखा जाए, तो यह वैध होगा.प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने पिछले साल 11 अक्टूबर को इस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आज कल मध्यम वर्ग में वृद्ध लोगों को बोझ समझा जाता है ऐसे में इच्छा मृत्यु में कई दिक्कते हैं. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने ये भी सवाल उठाया था कि जब सम्मान से जीने को अधिकार माना जाता है तो क्यों न सम्मान के साथ मरने को भी माना जाए. इससे पहले साल 2015 में एक फैसला एक गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज की याचिका पर लिया था जिसमें कहा गया था कि एक व्यक्ति जानलेवा बीमारी से पीड़ित हो तो, उसे दिए गए मेडिकल सपोर्ट को हटाकर पीड़ा से मुक्ति दी जानी चाहिए. इसी को पैसिव यूथेनेशिया कहा जाता है.