टॉप अफसरों ने दी थी वॉर्निंग, बाइडन ने फिर भी अफगानिस्तान से बुलाई सेना

वॉशिंगटन. अफगानिस्तान (Afghanistan) से सैनिकों को वापस बुलाने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. इस बीत अमेरिकी कांग्रेस (संसद) में पहली बार गवाही के लिए पेश हुए अमेरिकी शीर्ष सैन्य अधिकारी ने मंगलवार को खुलासा किया कि कई बार वॉर्निंग दिए जाने के बाद भी बाइडन ने ये फैसला लिया. ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ (US Joint Chiefs of Staff)के प्रमुख जनरल मार्क मिले (General Mark Milley)ने बताया कि उन्होंने राष्ट्रपति जो बाइडन को सलाह दी थी कि अफगानिस्तान में कुछ 2500 के आसपास सैनिकों को स्टैंडबाय में रखना चाहिए.

इतना ही नहीं, जनरल मार्क मिले ने यह भी आशंका जाहिर की थी कि तालिबान ने अल-कायदा के साथ पूरी तरह अपने संबंधों को तोड़ा नहीं है. सैन्य अधिकारी ने अफगान में बीते 20 सालों की जंग को ‘रणनीतिक विफलता’ करार दिया. मार्क मिले ने सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति से कहा कि यह उनकी निजी राय है कि काबुल में सरकार को गिरने और तालिबान के शासन को वापस आने से रोकने के लिए अफगानिस्तान में कम से कम 2500 सैनिकों को तैनात रखने की जरूरत थी.

काबुल में दुश्मन का शासन है

मिले ने उस युद्ध को ‘रणनीतिक विफलता’ बताया जिसमें 2461 अमेरिकियों की जान गई है. उन्होंने 15 अगस्त को अफगानिस्तान की राजधानी पर तालिबान के कब्जे को लेकर कहा, ‘काबुल में दुश्मन का शासन है.’ उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका की सबसे बड़ी नाकामी शायद यह रही कि अफगानिस्तान के बलों को अमेरिका के सैनिकों और प्रौद्योगिकी पर अधिक निर्भर रखा गया.

मध्य कमान के प्रमुख और अमेरिकी जंग के अंतिम महीनों की देखरेख करने वाले जनरल फ्रैंक मैकेंज़ी ने कहा कि वह मिले के मूल्यांकन से सहमत हैं. उन्होंने भी यह बताने से इनकार कर दिया कि उन्होंने बाइडन को क्या सलाह दी थी. सीनेटर टॉम कॉटन ने मिले से पूछा कि जब उनकी सलाह नहीं मानी गई, तो उन्होंने इस्तीफा क्यों नहीं दिया तो मिले ने कहा, ‘यह जरूरी तो नहीं कि राष्ट्रपति उस सलाह से सहमत हों. यह भी जरूरी नहीं है कि वह इसलिए फैसला करें कि हमने जनरल के तौर पर उन्हें सलाह दी है. और सैन्य अधिकारी के तौर पर सिर्फ इसलिए इस्तीफा देना कि मेरी सलाह नहीं मानी गई यह राजनीतिक अवज्ञा का अविश्वसनीय कार्य होगा.’

रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भी दिया बयान

समिति के सामने रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भी बयान दिया है. उन्होंने सेना द्वारा विमानों के जरिये लोगों को निकाले जाने के अभियान का बचाव किया. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से भविष्य के खतरों से निपटना कठिन तो होगा लेकिन यह पूरी तरह से संभव है. उन्होंने समिति को बताया, ‘हमने एक राज्य बनाने में मदद की, लेकिन हम एक राष्ट्र नहीं बना सके.’

उन्होंने कहा, ‘सच यह है कि जिस अफगान सेना को हमने और हमारे सहयोगियों ने प्रशिक्षित किया था, उसने आसानी से हथियार डाल दिये. इसने हम सभी को आश्चर्यचकित कर दिया.’

ऑस्टिन ने हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लोगों को निकालने के 14 अगस्त से शुरू हुए अभियान में कमियों को स्वीकार किया. हालांकि उन्होंने कहा कि विमान सेवा के जरिये लोगों को निकालना एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी जिसने तालिबान शासन के तहत 1,24,000 लोगों को निकाल लिया.

उन्होंने कहा, ‘हम सभी ने अफगानिस्तानी नागरिकों के भयभीत होकर रनवे पर और हमारें विमानों के पीछे भागने की तस्वीरों को देखा है. हवाई अड्डे के बाहर असमंजस के मंजर हम सभी को याद हैं, लेकिन 48 घंटों के भीतर, हमारे सैनिकों ने व्यवस्था बहाल कर दी थी.