अमेरिका-कनाडा सीमा पर गुजराती परिवार की मौत का मामला, इन सवालों में उलझी पुलिस

अमेरिका-कनाडा सीमा (US-Canada Border) पर हुई गुजराती परिवार की मौत की जांच जारी है. फिलहाल, कनाडा (Canada) में अधिकारियों को इस घटना से जुड़े कई सवालों के जवाब के तलाश है. जैसे- कैसे एक भारतीय परिवार वहां पहुंचा और क्यों एक अच्छे परिवार ने इतने खतरनाक हालात में अमेरिका पहुंचने का विचार किया. पुलिस का मानना है कि यह मामला मानव तस्करी का है. वहीं, अमेरिका में भी एक शख्स को गिरफ्तार किया गया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए मैनिटोबा प्रांत में रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) ने कहा, ‘हमारा मानना है कि यह मानव तस्करी का मामला है औऱ हम यह जांच कर रहे हैं कि कैसे पटेल परिवार ने 12 जनवरी को टोरंटो से 18 जनवरी को एमर्सन तक यात्रा की.’ RCMP ने पीड़ितों की पहचान जगदीश कुमार पटेल (39), वैशाली बेन (37), विहांगी (11), धार्मिक पटेल (3) के तौर पर की है.

RCMP ने कहा है कि पटेल परिवार 12 जनवरी को टोरंटो पहुंचा और 18 जनवरी या इसके आसपास एमर्सन के लिए निकला. अधिकारियों ने कहा कि कनाडा में ऐसा कोई वाहन नहीं मिला है, जिससे यह संकेत मिलें कि कोई वहां तक वाहन से आया और छोड़कर निकल गया.

अमेरिका में अधिकारी ने डेल्टोना के रहने वाले 47 साल के एक शख्स स्टीव शैंड को गिरफ्तार किया है. कथित रूप से शैंड उस वाहन का ड्राइवर था, जो 11 भारतीय परिवारों को सीमा से लेने वाला था. खास बात है कि इसमें 7 परिवार सफल हुए. जबकि, पटेल परिवार बर्फ के तूफान में फंस गया. अधिकारियों को शक है कि सीमा पार करने की यह घटना महीने में दो बार भारतीय परिवार के लिए होने वाले रुटीन का हिस्सा है. इसके तहत एक व्यक्ति उन्हें कनाडा में छोड़ता है और कोई दूसरी व्यक्ति उन्हें अमेरिका में उठाता है.

कथित रूप से परिवार ने अमेरिका पहुंचने के लिए 1 लाख डॉलर खर्च किए थे. अधिकारियों के मन में सवाल है कि आखिर उन्होंने इस अवैध यात्रा के लिए इतना खर्च क्यों किया और तनाव में रहे. एक सवाल यह और भी है कि टूरिस्ट वीजा पर कनाडा पहुंच गए थे, तो सीमा पार कर अमेरिका क्यों आना? कनाडा में क्यों नहीं रहे? समुदाय में अटकलें लगाई जा रही हैं कि उन्हें कनाडा का मौसम ज्यादा ठंडा लगा. इसके अलावा अमेरिका में गुजरातियों और खासतौर से पटेल परिवारों का नेटवर्क ज्यादा अच्छा है. यह डेढ़ लाख से ज्यादा पटेल रहते हैं.

अधिकारियों का कहना है कि ठंड का मुकाबला करने के लिए परिवार के पास अच्छा व्यवस्था थी. वहीं, तस्करों ने भी एक जैसे दिखने वाले सर्दियों के कपड़े दिए थे. हालांकि, मौसम के हिसाब से ये कपड़े पर्याप्त नहीं थे. कहा जा रहा है कि मौसम उन लोगों के लिए भी मुश्किल था, जिन्हें इसकी आदत है. परिवार के चारों सदस्यों के शव मिलने से पहले करीब 16 घंटों तक भीषण ठंड में रहे.