नोएडा में अचानक बढ़ी TB के मरीजों की तादाद, एक साल में 5000 से भी ज्यादा मामले

नोएडा. उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर (Gautam Buddha Nagar) जिले में टीबी के मरीज बढ़ते जा रहे हैं. पिछले 10 दिनों के अंदर की गई निगरानी के दौरान 54 संदिग्ध मामलों में से 6 टीबी (TB Patients) के नए केस सामने आए हैं. इसके साथ ही इस साल अभी तक टीबी के करीब 5500 मामले सामने आ चुके हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा अधिकारियों के हवाले से प्रकाशित खबर के मुताबिक, मरीजों की पहचान विशेष निगरानी, जागरूकता अभियान और इलाज के लिए अस्पताल पहुंचने वालों के डाटा (Data) के आधार पर की जाती है. हालांकि, पूरे जिले में की गई व्यापक निगरानी के कारण पिछले साल की तुलना में इस साल अधिक टीबी मरीजों की पहचान की गई है.

टीवी रोग नियंत्रण से संबंधित नोडल अधिकारी शिरीष जैन ने कहा, “आशा और एएनएम कार्यकर्ताओं ने विशेष निगरानी अभियान के तहत टीबी रोग की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वे सभी सर्दी, जुकाम और बुखार से पीड़ित रोगियों का रिकॉर्ड दर्ज रखते हैं, क्योंकि कोविड के मामले में भी यही सामान्य लक्षण है. उसके अलावा भी कुछ अन्य विशेष जांच के माध्यम से टीवी की पहचान की जाती है.”

जैन ने कहा कि लॉकडाउन के कारण लोग ओपीडी नहीं जाते थे और महामारी की आपात स्थिति को छोड़कर लोग अस्पताल जाने से परहेज कर रहे थे, ऐसे में घर- घर जाकर यह अभियान चलाना पड़ा.

साल पूरा होने में अब भी तीन महीने शेष हैं

अधिकारियों ने बताया कि निगरानी की वजह से पिछले साल की तुलना में इस साल टीबी के मामलों की पहचान करने में मदद मिली है, लेकिन इस बार यह संख्या कम हो सकती है. 2019 में जहां टीबी मरीजों की संख्या 9960 थी, जो 2020 में घटकर 7024 हो गई. इस वर्ष अभी तक टीबी के 5475 मामले सामने आए हैं. जैन ने कहा, “साल पूरा होने में अब भी तीन महीने शेष हैं, अभी तक टीबी के मामले कम हैं.”

केवल 2 से 3 प्रतिशत ही एमडीआर टीबी के मामले हैं

सरकारी अस्पतालों में टीबी का इलाज मुफ्त होता है. सरकार की ओर से एक किट प्रदान किया जाता है, जिसमें यह बताया जाता है कि ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल का पालन छह माह तक कैसे किया जाना चाहिए. चिकित्सकों का कहना है कि टीबी के इलाज की महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे बीच में बाधित नहीं होना चाहिए. मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के मामलों में इलाज कम से कम डेढ़ साल तक चलता है. नोएडा में टीबी के कुल मामलों में केवल 2 से 3 प्रतिशत ही एमडीआर टीबी के मामले हैं.