डेंगू से आर पार की लड़ाई के मूड में सरकार, 5 साल के अंदर दवाई होगी विकसित

पिछले दो तीन साल से कोरोना (Corona) को लेकर जो बदहवासी छाई हुई है वह अब तक कम नहीं हुई है. वैक्सीन भी शत प्रतिशत कारगर नहीं है. इसलिए पूरी दुनिया अब भी इसका इलाज ढूंढने में लगी है. दरअसल, कोरोना ने हमारी स्वास्थ्य सेवाओं में कमिओं की नंगी तस्वीर को उजागर कर दिया है. यही कारण है कि दुनिया भर के सरकारें स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं को प्राथमिकता में लेने लगी है. हम सब जानते हैं कि देश में डेंगू का कितना प्रकोप रहता है. हर साल हजारों लोगों को डेंगू (Dengue ) की बीमारी होती है. इस बीमारी का भी कोई इलाज नहीं है. अब भारत सरकार डेंगू की बीमारी से निपटने के लिए आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गई है. इसके लिए बायोटेक्नोलॉजी विभाग के टीएचएसटीआई (Transitional Health Science and Technology Institute -THSTI) ने डीएनडीआई (Drugs for Neglected Diseases initiative-(DNDi) India Foundation के साथ समझौता किया है. इस समझौते के तहत अगले पांच साल के अंदर डेंगू की प्रभावशाली दवा को विकसित किया जाएगा.

पिछले दो तीन साल से कोरोना (Corona) को लेकर जो बदहवासी छाई हुई है वह अब तक कम नहीं हुई है. वैक्सीन भी शत प्रतिशत कारगर नहीं है. इसलिए पूरी दुनिया अब भी इसका इलाज ढूंढने में लगी है. दरअसल, कोरोना ने हमारी स्वास्थ्य सेवाओं में कमिओं की नंगी तस्वीर को उजागर कर दिया है. यही कारण है कि दुनिया भर के सरकारें स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं को प्राथमिकता में लेने लगी है. हम सब जानते हैं कि देश में डेंगू का कितना प्रकोप रहता है. हर साल हजारों लोगों को डेंगू (Dengue ) की बीमारी होती है. इस बीमारी का भी कोई इलाज नहीं है. अब भारत सरकार डेंगू की बीमारी से निपटने के लिए आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गई है. इसके लिए बायोटेक्नोलॉजी विभाग के टीएचएसटीआई (Transitional Health Science and Technology Institute -THSTI) ने डीएनडीआई (Drugs for Neglected Diseases initiative-(DNDi) India Foundation के साथ समझौता किया है. इस समझौते के तहत अगले पांच साल के अंदर डेंगू की प्रभावशाली दवा को विकसित किया जाएगा.

डेंगू में ये होते हैं लक्षण

डेंगू विश्व में सार्वजनिक स्वास्थ्य के 10 सबसे बड़े जोखिमों से एक है. भारत में मॉनसून के समय यह बीमारी तेजी से फैल जाती है. इसमें बुखार, बेचैनी, उल्टी और शरीर में बेतहाशा दर्द होने लगता है. अगर बीमारी गंभीर होने लगती है तो मरीज में आंतरिक ब्लीडिंग शुरू हो जाता है और कई अंग काम करने बंद कर देते हैं. अंत में मरीज की मौत भी हो जाती है.