अंत्येष्टि का सामान बेचने वाले बुज़ुर्ग ने PM मोदी को लिखा पत्र- एक साथ लगातार इतनी मौतें पहले कभी नहीं देखीं

देवास. कोरोना (Corona) के कहर ने हर तरफ संक्रमित मरीज़ों और मौत का आंकड़ा बढ़ा दिया है. इन मौतों ने देवास के एक बुज़ुर्ग को इतना व्यथित कर दिया कि उन्होंने प्रधानमंत्री ( PM) से लेकर मुख्य मंत्री तक सबको एक लैटर लिख डाला. दरअसल ये बुज़ुर्ग अंत्येष्टि का सामान बेचने वाले व्यवसायी हैं और देवास में इसी सामान की उनकी दुकान है. इन बुज़ुर्ग सज्जन ने चिट्ठी में लिखा कि मैंने इतनी मौतें एक साथ पहले कभी नहीं देखीं.

हम यहां बात कर रहे हैं देवास में अंत्येष्टि का सामान बेचने वाले लीलाधर व्यास की. इस पत्र के ज़रिए उन्होंने अकाल होने वाली इन मौतों पर गम और सरकार की व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं.

पत्र का मजमून

लीलाधर व्यास पत्र में लिखते हैं. "मैं लीलाधर व्यास निवासी देवास एक अंत्येष्टि सामग्री सेवक हूं. कई दिनों से यह देखने में आ रहा है कि मृत्यु का आंकड़ा बढ़ रहा है. पहले रोज एक या दो लोगों की मृत्यु औसतन होती थी. लेकिन कोरोना के कारण मौत का ये आंकड़ा हैरान करने वाला है. अब देवास जिले में रोज औसतन 12 से 15 लोगों की मौत रोज हो रही है. वो आगे लिखते हैं मेरी दुकान से मेरा पेट चलता है. लेकिन इस वर्ष मृत्यु दर का बढ़ना चिंताजनक है. इनमें बच्चे, वृद्ध और जवान सबकी मौत हो रही है.

मृतकों की सूची में कहीं मेरा नाम भी न आ जाए

वो आगे लिखते हैं कहीं मृतकों की इसी लिस्ट में मेरा या मेरे परिवार नाम न आ जाए. पिछली बार की तरह क्या भारत में एक बार फिर कोरोना वायरस का संक्रमण फैल रहा है. कई शहर इसकी चपेट में आ चुके हैं. सुनने में आ रहा है कि कोविड महामारी के इलाज में लगने वाले रेमेडेसिविर इंजेक्शन की कमी के कारण यह कई गुना ज़्यादा दामों पर बिक रहा है. गरीब व्यक्ति के लिये महंगा इंजेक्शन खरीदना बड़ा कठिन है साहब.

जिन्होंने अपनों को खोया, वो समझते हैं ज़िंदगी की कीमत

दवाई और इंजेक्शन महंगा होने के कारण गरीब लोग इस बीमारी का इलाज नहीं करवा पा रहे हैं. व्यास ने इंजेक्शन का उत्पादन बढ़ाने, टैक्स कम करने, गरीबों के लिए मुफ्त इलाज, दवाइयों की कालाबाजारी रोकने के सुझाव सरकार को दिये हैं. वो लिखते हैं चिताएं बन रहीं चिंता का कारण. श्मशान में चिता देखकर ही कोई यकीन कर पाएगा कि मौत के आंकड़ों में इजाफा किस कदर हुआ है. जिन्होंने अपनों को खोया है बस वही बखूबी सुरक्षित रहने की कीमत और भाषा समझ रहे हैं.

श्मशान में लाशों की भी़ड

लीलाघर व्यास ने लिखा मेरी अंत्येष्टि के सामान की दुकान है. लेकिन मैंने जीवन में इतनी मौतें कभी नहीं देखीं, जितनी इस काल में देख रहा हूं. मुझे अपनी और परिवार की चिंता सता रही है. कोरोना महामारी के कहर में मृत्यु के मापदंड पर भी ध्यान देने की जरूरत अब महसूस होने लगी है. देखने में आया है कि प्रदेश में प्राइवेट हों या सरकारी अस्पताल दोनों में कोविड के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. मरीजों की संख्या श्मशान में जाकर कम हो रही है.