कोरोना संकट काल में दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम में दोगुने हुए साइबर ठगी के मामले

कोरोना संकटकाल में सबसे ज्यादा किसी को फायदा हुआ है तो वो हैं साइबर ठग. दिल्ली पुलिस साइबर सेल के ताजा आंकड़े बताते हैं कि कोरोना के बढ़ते मामले की तरह ही साइबर अपराध का ग्राफ भी बढ़ता ही जा रहा है. कोरोनाकाल में साइबर क्राइम के मामले दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम में दोगुने हो गए.

दिल्ली में मार्च में 1895, अप्रैल में 3367, मई में 4184, जून में 3205, जुलाई में 4113, अगस्त में 3821 के मामले दर्ज किए गए. गुरुग्राम में अप्रैल और जून के बीच साइबर फ्राड से जुड़े कुल 3,000 से ज्यादा केस दर्ज किए गए. जबकि पिछले साल यह आंकड़ा सिर्फ 2,000 पर ही सिमट गया था.

इसी तरह नोएडा की बात करें तो लॉकडाउन के महीनों में साइबर ठगी से जुड़े मामले दोगुने हो गए हैं. जनवरी 2020 में जहां साइबर ठगी के 920 मामले दर्ज हुए, जबकि 2019 में इनकी संख्या सिर्फ 566 थी. फरवरी में 896 (पिछले साल 538), मार्च 809 (पिछले साल 526), अप्रैल 1026 (पिछले साल 540), मई 1122 (पिछले साल 624) और जून में 1006 (पिछले साल 672), साइबर ठगी के केस दर्ज हुए.

ठगी के तीन अपडेटेड हथकंडे

दिल्ली पुलिस साइबर सेल के चीफ अन्येश रॉय का कहना है कि कोरोना से पहले साइबर अपराधी ई-कॉमर्स साइटों पर बेचने के बहाने लोगों को ठगते थे, लेकिन कोरोना काल में पीएम केयर फंड, कोरोना पीड़ित को सहायता दिलाने, फ्रंटलाइन वॉरियर की मदद करने का झांसा देकर लोगों को ठग रहे हैं. नए ट्रेंड में साइबर क्रिमिनल्स अब सोशल मीडिया के ज़रिए लोगों को शिकार बना रहे है. ये अब ई कॉमर्स साइटों से सोशल मीडिया पर शिफ्ट हो चुके हैं.

दिल्ली के करीब ठगी का त्रिकोणीय तिलिस्म

दिल्ली पुलिस साइबर सेल डीसीपी अन्येश रॉय बताते हैं कि ओएलएक्स क्यू आर कोड के बहाने ठगने वाले ज्यादातर अपराधी मेवात, भरतपुर और मथुरा से अपने मंसूबों को अंजाम दे रहे हैं. केवाईसी फ्रॉड झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार से हो रहा है. जबकि दिल्ली-एनसीआर में जॉब फ्राड के नाम पर ठगी राजस्थान के इलाके से ठग अंजाम दे रहे हैं.

यूपी में एसपी (साइबर क्राइम) डॉक्टर त्रिवेणी सिंह ने बताया कि हरियाणा के मेवात, राजस्थान के भरतपुर और उत्तर प्रदेश में मथुरा की लगती सीमाएं साइबर ठगों के लिए स्वर्ग बन चुकी है. तीनों राज्यों से मिलकर बन रहे इस त्रिकोणीय इलाके में एक राज्य का मोबाइल टावर दूसरे राज्य में शेयर हो जाता है जिसका फायदा ये ठग उठाते हैं. ये बल्क में सिम खरीदकर ठगी करते हैं जिन्हें बाद में नष्ट कर देते हैं.

फोन कॉल, मैसेजिंग, ई-मेल और ऐप्स फिशिंग करने वालों के बड़े हथियार हैं. फिशिंग और हैकिंग में अंतर बस इतना है कि फिशिंग में साइबर अपराधी आपसे जानकारी चुरा कर ठगी करता है, लेकिन अकाउंट कंट्रोल आपके पास ही होता है.