अब से 5 दिनों तक उल्टे रास्ते में चांद का चक्कर लगाएगा विक्रम लैंडर

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों ने आज यानी 3 सितंबर की सुबह 8.50 बजे विक्रम लैंडर को विपरित कक्षा में डाला. सोमवार को चंद्रयान-2 से अलग होने के बाद करीब 20 घंटे से विक्रम लैंडर अपने ऑर्बिटर की कक्षा में ही चक्कर लगा रहा था. लेकिन, अब यह ऑर्बिटर से उल्टी दिशा में जाएगा. इसे ही डिऑर्बिट कहते हैं. अब चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने से पहले तक विक्रम लैंडर करीब 2 किमी प्रति सेकंड की गति से चांद के चारों तरफ चक्कर लगाएगा.
चंद्रयान-2 तीन हिस्सों से मिलकर बना है - पहला- ऑर्बिटर, दूसरा- विक्रम लैंडर और तीसरा- प्रज्ञान रोवर. विक्रम लैंडर के अंदर ही प्रज्ञान रोवर है, जो सॉफ्ट लैंडिंग के बाद बाहर निकलेगा. विक्रम लैंडर अगले करीब 31 घंटे तक चांद के 104 किमी की एपोजी और 128 किमी की पेरीजी में चक्कर लगाएगा. इसके बाद, 4 सितंबर की शाम करीब 4 बजे के आसपास उसकी कक्षा दोबारा बदली जाएगी. तब यह 36 किमी की एपोजी और 110 किमी की पेरीजी में चांद का चक्कर लगाना शुरू करेगा. 4 सितंबर को ही विक्रम लैंडर चांद के सबसे नजदीक होगा.