नक्सली हमले में शहीद हो गए थे पिता, बेटा जेपीएससी टॉपर लिस्ट में शामिल, अब बनेगा अफसर

नई दिल्ली (JPSC Success Story, Abhay Kujur JPSC). कभी-कभी इंसान के हौसले इतने मजबूत होते हैं कि हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, वह अपने सपनों को पूरा करके ही दम लेता है. झारखंड के खूंटी जिले के रहने वाले अभय कुजूर ने यह साबित भी कर दिखाया है. झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) सिविल सेवा परीक्षा 2023 में उन्होंने पूरे राज्य में दूसरा स्थान हासिल किया है. अभय कुजूर के पिता अविनाश कुजूर नक्सली मुठभेड़ में शहीद हो गए थे. उसके बाद से मां सुशीला कुजूर ने ही घर और बच्चों की जिम्मेदारी संभाली.
पिता के बलिदान ने भले ही परिवार को तोड़ दिया, लेकिन अभय ने हार नहीं मानी. उन्होंने तभी से ठान लिया था कि वे प्रशासनिक अधिकारी बनकर पिता का सपना पूरा करेंगे. अभय की इस कामयाबी ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे इलाके को गर्व से भर दिया है. अभय बताते हैं कि आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और अपने लक्ष्य से कभी नहीं भटके. उनकी मेहनत और लगन आज उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो कठिनाइयों के आगे घुटने टेक देते हैं. जानिए जेपीएससी 2023 टॉपर की सक्सेस स्टोरी.
जेपीएससी के सेकंड टॉपर अभय कुजूर ने बताया कि साल 2003 में आर्मी से रिटायर होने के बाद उनके पिता ने उड़ीसा में एंटी नक्सलाइट फोर्स जॉइन की थी. 2009 में एक नक्सल अभियान के दौरान उनके पिता अविनाश कुजूर शहीद हो गए थे. उसके बाद से उनकी मां सुशीला कुजूर ने पूरे परिवार को संभाला. अभय कुजूर के परिवार में उनकी दो बड़ी बहनें भी हैं. अभय के पिता चाहते थे कि उनका बेटा बड़ा होकर अफसर बने और समाज में बदलाव लाए. अभय ने अपने पिता के अधूरे सपनों को अपना लक्ष्य बना लिया.

अभय कुजूर ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उन्होंने सेल्फ स्टडी कर परीक्षा पास की. अभय ने सिविल सर्विस परीक्षा के लिए किसी बड़े कोचिंग संस्थान का सहारा नहीं लिया. अभय कुजूर ने साल 2011 में रांची के सेंट अलुइस स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की थी. इसके बाद 2013 में रांची के ही सुरेंद्रनाथ सैंटनरी स्कूल से साइंस स्ट्रीम से इंटर किया. फिर रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से 2016 में जियोलॉजी ऑनर्स से ग्रेजुएशन की. इसके बाद रांची यूनिवर्सिटी के पीजी डिपार्टमेंट जियोलॉजी में ही मास्टर्स की डिग्री हासिल की.


डीएसपी पाठशाला ने दिखाई राह
अभय कुजूर के मोहल्ले में आईएएस अफसर रहते थे. उनकी कार्यशैली को देखकर ही अभय सर्विस में आने के लिए प्रेरित हुए. अभय अफसर बनकर लोगों की आवाज बनना चाहते थे. लोगों की सेवा और मदद करने के लक्ष्य से उनकी सिविल सेवा में जाने के प्रति लालसा बढ़ गई. उनका विजन स्पष्ट था कि उन्हें सिविल सेवा में ही जाना है. उनके इस सफर में डीएसपी की पाठशाला से काफी मार्गदर्शन मिला. झारखंड लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा 2023 के सेकंड टॉपर अभय कुजूर को प्रशासनिक सेवा अलॉट हुआ है.