गीता गोपीनाथ ने IMF से दिया इस्तीफा, अब तैयार करेंगी भविष्य के अर्थशास्त्री

नई दिल्ली. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की उप प्रबंध निदेशक और भारतीय मूल की अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने अपने पद से इस्तीफे दे दिया है. गीता सात वर्षों से आईएमएफ से जुड़ी हुईं थी. उन्होंने कहा है कि वह दोबारा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अध्यापन करेगी. गीता गोपीनाथ ने अपने इस्तीफे की घोषणा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट के जरिए की. उन्होंने लिखा, “IMF में लगभग सात अद्भुत वर्षों के बाद मैंने अपनी शैक्षणिक जड़ों की ओर लौटने का फैसला किया है.” IMF में आने से पहले गीता गोपीनाथ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय अध्ययन और अर्थशास्त्र की जॉन ज्वानस्ट्रा प्रोफेसर (2005-2022) थीं. उससे पहले वह शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में अर्थशास्त्र की सहायक प्रोफेसर (2001-2005) के रूप में कार्यरत थीं.
गीता गोपीनाथ अब 1 सितंबर से हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग में प्रथम ग्रेगरी और एनिया कॉफी प्रोफेसर के रूप में अपनी नई पारी की शुरुआत करेंगी. उन्होंने कहा कि वह अकादमिक क्षेत्र में वापस लौटकर अंतरराष्ट्रीय वित्त और समष्टि अर्थशास्त्र में अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए उत्साहित हैं. साथ ही, वह अर्थशास्त्रियों की नई पीढ़ी को तैयार करने में भी अपना योगदान देना चाहती हैं.
गोपीनाथ जनवरी 2019 में IMF में मुख्य अर्थशास्त्री के तौर पर शामिल हुई थीं और जनवरी 2022 में उन्हें प्रथम उप प्रबंध निदेशक के रूप में प्रमोट किया गया था. IMF के इतिहास में वह पहली महिला थीं जिन्हें मुख्य अर्थशास्त्री बनाया गया था. इसके बाद उन्होंने उप प्रबंध निदेशक के रूप में भी अभूतपूर्व योगदान दिया.
अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने IMF की राजकोषीय और मौद्रिक नीति, लोन प्रक्रिया, और अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर नीतियों की निगरानी की. उन्होंने कोविड-19 महामारी से लेकर वैश्विक आर्थिक मंदी तक की जटिल परिस्थितियों में IMF को मजबूती से दिशा दी.
IMF प्रमुख ने गीता को बताया शानदार प्रबंधक
IMF की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने गीता गोपीनाथ को “एक उत्कृष्ट सहयोगी, प्रतिबद्ध बुद्धिजीवी और शानदार प्रबंधक” बताया. उन्होंने कहा कि गीता ने IMF की नीतिगत दिशा को स्पष्टता के साथ आगे बढ़ाया और बेहद जटिल अंतरराष्ट्रीय परिवेश में भी उच्च स्तर के विश्लेषण की मिसाल पेश की.