ग्वालियर में जीएसटी की छूट केवल सुपर मार्केट पर ही मिल रही

ग्वालियर. जीएसटी कम होने के बाद कांच मिल क्षेत्र के निवासी बीपी श्रीवास्तव ने दुकान से घी का पैकेट खरीदा। घी का पैकेट 595 रुपए में दुकानदार ने दिया। पहले भी उन्हें घी का पैकेट इतनी ही कीमत में मिलता था। जब उन्होंने दुकानदार से जीएसटी कम करके घी देने के लिए कहा तो उसने कहा कि अभी तो पुरानी रेट में ही मिलेगा। जब हमें कम कीमत पर मिलेगा तब हम भी आपको कम कीमत पर देंगे। ऐसा केवल एक व्यक्ति के साथ नहीं हो रहा है, बल्कि शहर में बड़े सुपर मार्केट या डिपार्टमेंटल स्टोर को छोड़ दें, गली मोहल्लों सहित अन्य जगहों की दुकानों पर जीएसटी कम होने के बाद भी सामान पुरानी कीमत या एमआरपी पर ही मिल रहा है। बिस्किट हो, चिप्स का पैकेट हो या अन्य ऐसी ही कोई पैक्ड सामग्री हो, उपभोक्ताओं को जीएसटी की छूट लागू होने के दो दिन बाद भी एमपीआरपी पर ही मिल रहे है। ऐसे में अभी लोगों को जीएसटी कम होने से कम ही राहत मिल पा रही है।
सुपर मार्केट या डिपार्टमेंटल स्टोर पर क्यों मिल रही है छूट
सुपर मार्केट या डिपार्टमेंटल स्टोर न केवल जीएसटी में रजिस्टर्ड हैं, बल्कि वे बिलिंग भी सॉफ्टवेयर से करते हैं। ऐसे में उनके साफ्टवेयर में जीएसटी कम कर दिया गया है। इसलिए इन स्टोर पर लोगों को कम कीमत में सामान मिल रहा है। जबकि छोटी व गली मोहल्लों की दुकानों में से अधिकतर जीएसटी में रजिस्टर्ड ही नहीं है, साथ ही इन दुकानों पर बिलिंग के लिए किसी तरह का साफ्टवेयर भी उपयोग नहीं करते। ऐसे में ये दुकानदार अभी भी जीटएसटी कम होने के बाद भी पुरानी एमआरपी पर ही चीजें बेच रहे हैं।
शहर में अधिकतर दुकानदारों को सामान डिस्ट्रीब्यूटर या उनके एजेंट ही सप्लाई करते हैं। ये लोग सीधे सीधे कच्चे बिल पर ही माल सप्लाई करते हैं। ऐसे में दुकानदारों का कहना है कि एजेंट या डिस्ट्रीब्यूटर को तो हम माल के पैसे दे चुके हैं, अब वो वापस नहीं करेगा। इसलिए जब तक पुराना माल है तब तक पुरानी ही कीमत में बेचेंगे। जिन मेडिकल स्टोरों पर कंप्यूटर से बिलिंग हो रही है वहां पर लोगों को दवाओं पर जीएसटी से राहत मिल रही है। हालांकि मेडिकल स्टोर वाले अब पहले जो 10 से 15 प्रतिशत डिस्काउंट दवा पर देते थे, वह नहीं दे रहे हैं।