जीवाजी विश्वविद्यालय और दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान शोध के क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे

ग्वालियर- जीवाजी विश्वविद्यालय और भोपाल स्थित दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान के मध्य मंगलवार को अनुबंध किया गया। दोनों संस्थाएं मानविकी, सामाजिक विज्ञान और भारतीय ज्ञान परंपरा के क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ा कर शोध के क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे।
प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला, जीवाजी विश्वविद्यालय, में “राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में इतिहास विषय में स्नातक द्वितीय तथा तृतीय एवं स्नातकोत्तर तृतीय तथा चतुर्थ सेमेस्टर हेतु पाठ्यक्रम निर्माण” पर दो दिवसीय कार्यशाला (16 से 17 सितम्बर, 2025) का 16 सितम्बर को शुभारम्भ हुआ। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र की जीवाजी विश्वविद्यालय, अध्यक्षता कुलगुरु, डॉ. राजकुमार आचार्य, ने की, तथा बीज वक्तव्य प्रो. अलकेश चतुर्वेदी, इतिहास विभाग, शासकीय प्रधानमंत्री उत्कृष्ट महाकोशल महाविद्यालय, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर, प्रो. मुकेश मिश्र, निदेशक, दत्तोपन्त ठेंगड़ी शोध संस्थान, भोपाल एवं प्रो. प्रशांत पुराणिक, इतिहास विभाग, प्राचार्य, शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय, उज्जैन ने दिया।
इस अवसर पर प्रो. कुमार रत्नम, ने भी पाठ्यक्रम निर्माण हेतु अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिये। इसी सत्र में प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला, जीवाजी विशविश्वविद्यालय, एवं दत्तोपन्त ठेंगड़ी शोध संस्थान, भोपाल के मध्य MoU (समझौता ज्ञापन) भी हुआ, इस समझौता ज्ञापन के मध्यम से जीवाजी विश्वविद्यालय एवं दत्तोपन्त ठेंगड़ी शोध संस्थान, भोपाल के मध्य शोध कार्य एवं शोध परियोजनाओं को प्रोत्साहन मिलेगा।
इस समझौता ज्ञापन पर जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलगुरु एवं दत्तोपन्त ठेंगड़ी शोध संस्थान, भोपाल के निदेशक ने हस्ताक्षर किए। कार्यशाला के आयोजन सचिव एवं मध्यप्रदेश में भारतीय ज्ञान परम्परा के नोडल अधिकारी डॉ. शान्तिदेव सिसोदिया, विभागाध्यक्ष, प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला, के अनुसार देश में शिक्षा के विकास को दिशा देने के लिए भारत सरकार द्वारा तैयार की गई है। कार्यशाला में मध्यप्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों से केन्द्रीय अध्ययन मण्डल (इतिहास) के पाठ्यक्रम निर्माण हेतु अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिये।