इशिका ने तय किया ग्वालियर से ग्लोबल हॉकी का सफर

ग्वालियर इशिका चौधरी ने 11 साल की उम्र में ही हॉकी स्टिक अपने हाथ में थामकर ठान लिया था कि वे एक दिन देश के लिये कुछ बड़ा करके दिखायेंगीं। महिला हॉकी अकादमी में दाखिल होने पर उनकी प्रतिभा को पहचानकर न केवल तराशा गया बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुँचाने का कार्य भी किया गया। इशिका की खेल प्रतिभा को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने उन्हें सर्वोच्च एकलव्य खेल सम्मान से भी नवाजा। इशिका अब ग्वालियर ही नहीं समूचे मध्यप्रदेश व देश का नाम दुनिया में गौरवान्वित कर रही हैं। इशिका महिला सशक्तिकरण का एक सशक्त उदाहरण है। उनकी प्रतिभा देखकर यह तय हो जाता है कि अगर सच्चे मन से और पूरी लगन से किसी लक्ष्य को निर्धारित किया जाए तो उसे पाना असंभव नहीं होता है।
15 अप्रैल वर्ष 2000 को ग्वालियर में जन्मी इशिका ने राज्य सरकार की महिला हॉकी अकादमी ग्वालियर एवं प्रशिक्षकों के मार्गदर्शक और कड़ी मेहनत से अपने खेल में निरंतर निखार लाया। उनका समर्पण और खेल प्रतिभा को देखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें एकलव्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो राज्य का सर्वोच्च खेल सम्मान है।
इशिका ने अपने खेल की बदौलत 2014 में सब जूनियर नेशनल टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीतकर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज कराई। वर्ष 2016 में सीनियर नेशनल प्रतियोगिता में कांस्य पदक हासिल कर यह साबित कर दिया कि उनका लक्ष्य केवल खेलना ही नहीं बल्कि प्रदेश व देश को गौरव दिलाना भी है। इशिका की मेहनत रंग लाई जब 2018 में अर्जेंटीना में आयोजित यूथ ओलम्पिक में भारत को रजत पदक मिला। इस प्रतियोगिता में भी इशिका एक महत्वपूर्ण कड़ी रहीं। वर्ष 2022 में आयोजित हॉकी वर्ल्डकप में भारत की टीम ने जब चौथा स्थान हासिल किया तो इशिका के शानदार खेल प्रदर्शन की चौतरफा प्रशंसा हुई। उनके शानदार प्रदर्शन को देखते हुए 2022 में सीनियर महिला हॉकी टीम में शामिल किया गया। एशिया कप 2022 में कांस्य पदक, 2023 की एशियन चैम्पियनशिप ट्रॉफी में स्वर्ण पदक और 2023 के एशियन गेम में एक और कांस्य पदक जीतकर इशिका ने न केवल मध्यप्रदेश का बल्कि भारत का गौरव भी बढ़ाया।
इशिका को वर्ष 2025 में हॉकी इंडिया लीग टीम ओडिशा वॉरियर्स का उप कप्तान नियुक्त किया गया। यह केवल उनका खेल कौशल ही नहीं बल्कि उनके नेतृत्व प्रदर्शन को दर्शाता है। उन्होंने प्रथम हॉकी लीग का खिताब भी अपने नाम किया।
मध्यप्रदेश खेल अकादमी में तराशी गई इशिका चौधरी महज सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं बल्कि उन हजारों बेटियों के लिये प्रेरणा है जो सपने देखती हैं, संघर्ष करती हैं और अपने जुनून से भारत का नाम रोशन करना चाहती हैं।