सन 2100 तक पिघल जाएंगे हिमालय के आधे से ज्यादा ग्लेशियर, सूख जाएंगी नदियां

दुनिया में तीसरे ध्रुव के तौर पर जाने जाने वाले हिमालय पर ग्लोबल वार्मिंग का जबरदस्त प्रभाव पड़ रहा है. हिंदुकुश हिमालय को लेकर हुए एक ताजा अध्ययन के मुताबिक पेरिस समझौते के तहत ग्लोबल वार्मिंग को डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित किए जाने के लिए कदम उठाने के बावजूद तापमान में 2.1 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी शताब्दी के अंत तक होगी. इसका असर हिमालय के ग्लेशियर पर पड़ेगा. अगर ऐसा हुआ तो इस इलाके के एक तिहाई ग्लेशियर पिघल जाएंगे और हिमालय में रहने वाले 25 करोड़ पहाड़ी लोग और इसी के साथ 165 करोड़ ऐसे लोग जो हिमालय के आसपास रहते हैं, उन पर बुरा असर पड़ेगा.

अध्ययन के मुताबिक अगर जलवायु परिवर्तन को काबू में रखने वाले मौजूदा कदम असफल रहते हैं तो इस समय के उत्सर्जन के मुताबिक सन 2100 तक हिमालय के दो तिहाई ग्लेशियर पिघल जाएंगे. इसकी वजह से नदियों में पानी तेजी से घट जाएगा और इससे हिमालय के आसपास के इलाकों में पानी का संकट खड़ा हो जाएगा. इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट के फिलिप्स वेस्टर का कहना है कि यह ऐसी जलवायु त्रासदी होगी जिसे आपने कभी सुना नहीं होगा. उनके मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग का मौजूदा ट्रेंड इस तरीके का है कि इससे हिंदुकुश हिमालय की तमाम चोटियां बर्फविहीन हो जाएंगी.

ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हिमालय के आसपास मौजूद सभी देशों में वायु प्रदूषण का स्तर और खतरनाक हो जाएगा. मौसम की गतिविधियां भी भयानक हो जाएंगी. कहीं पर बाढ़ तो कहीं पर सूखा तो कहीं पर जबरदस्त आंधियां. उन्होंने बताया कि ताजा अध्ययन के मुताबिक मानसून से पहले नदियों के बहाव में काफी कमी आ जाएगी. मानसून के पैटर्न में भी बदलाव देखा जा सकता है. इसकी वजह से शहरों में पानी की सप्लाई प्रभावित होगी और खाने पीने की किल्लत बढ़ सकती है.